‘देखो नभ मे उड़े पतंग, भरते नीलगगन मे रंग देखो यह बसन्त मस्तानी, आ गई है ऋतुओ की रानी’ स्नेहिल सदस्य सखियो, जिस प्रकार से हर वर्ष वसंत ऋतु उमंग एवम उल्लास की सौगातें ले कर आती हैं उसी प्रकार से इस बार भी वसंत का शुभागमन हुआ है और हम
लहर लहर अठखेली होगी उमग उमग भीगेंगे कल कल करती जलधारा से चहल चुहल कर लेंगे चटपट चटक चाट खा करके भजियों का सुख लेंगें टोली में करके जलक्रीड़ा बचपन को जी लेंगे ग्रीन क्लब के हम सब साथी वॉटर पार्क चलेंगे भिड़ जायेंगे सूरज से भी मस्ती बहुत करेंगे प्रिय सदस्यगण, जब सम्पूर्ण अवनी
दुर्जन अरिकुल जीतके जय पावे निकलंक तुम पद पंकज मन बसै ते नर सदा निशं तुम पद पंकज धूल को जो लावे निज अंग ते नीरोग शरीर लहि छिन में होय अनंग देवों के भी देव दीनों के नाथ त्रिलोकपति महाप्रभु श्री आदिनाथ भगवान की महिमा अगम्य है।
……….समारोह, ………..क्लब तिथि, 21st मार्च उत्कृष्ट- मंच संचालन असाधारण- मंत्रमुग्ध करने वाली प्रस्तुतियां प्रशंसनीय- सभी आयु वर्ग के लोगों को मंच गरिमामय- राष्ट्रीय शख्सियतों का सानिध्य लयबद्ध- कार्यक्रम संयोजन अतिउत्तम- आथित्य जितना भी वर्णन किया जाये कम है। पुनः हमारे पदाधिकारियों और ऊर्जावान सक्रिय सदस्यों ने अपने चकित कर देने वाले सयोंजन से
हुल्लड़ होगा मस्ती होगी बुद्धवार को मंगल होगा चलो चलें सुल्तान देखने बड़ा अनोखा दंगल होगा स्नेहिल दम्पत्ति सदस्य, जैसा कि आप सबको विदित है प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी दिगम्बर जैन सोशल ग्रुप जबलपुर नगर का मनोरंजन की श्रेणी का एक महत्वपूर्ण आयोजन ‘सामूहिक महा चलचित्र रंजन-मेगा सिनेमा ट्रीट’ का आयोजन सुनिश्चत हो
महोदय, संदर्भित पत्र क्रं. . . . के अनुसार………………………….को. सो. लिमि. को………………………..केंद्रीय करागार के प्रशिक्षित बन्दियों के द्वारा स्वच्छ वातावरण में निर्मित गुणवत्तापूर्ण खाद्य पदार्थों को सोसाइटी के ही द्वारा निर्धारित मूल्यों पर विक्रय के लिये आपके संस्थान द्वारा संस्थान के ही परिसर में सुनिश्चित स्थान पर अस्थाई खानपान ग्रह खोलने के लिये अधिकृत किया
स्नेही स्वजन, अब समय आ गया है, उन स्वर्णिम एवम गौरवशाली पलों की यादों को पुनः ताजा करके आल्हादित होने का जब हमारे प्रतिष्ठित क्लब “……………” की स्थापना हुई थी। ये भी पढ़ें: वाटर पार्क में पार्टी का आमंत्रण ये भी पढ़ें: सामूहिक टिफिन पार्टी का आमंत्रण हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी हम अपने स्थापना
मैंने कब कहा तुम मेहनत से मिले हो तुम तो अप्रतिम गुलाब हो ह्रदय की बंजर भूमि पर नैमत से खिले हो इसमें बेईमानी क्यों लगती है तुम्हें गलत बयानी क्यों लगती है तुम तो सौभाग्य हो तुम शुभ संयोग हो अच्छे अच्छे ग्रहों के तुम मिलन का योग हो मेरे निकट आये तुम सचमुच बड़े