झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई पर कविता : Kavita Jhanshi ki Raani lakshmi bai, jhansi ki rani lakshmi bai par kavita in hindi

झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई पर कविता – तो आपने पहले भी पढ़ी होगी, कई रचनाकारों की कवितायें पढ़ीं होंगी लेकिन यह कविता झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई पर कविता महज़ एक कविता नहीं हैं उनका पूरा जीवन वृतांत है, उनकी लौहमर्षक महागाथा है। अगर आप यह झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई पर कविता पूरी पढ़ लेंगें तो मेरा दावा है कि आपकी

कविता- ‘कृष्ण मेरे आओ’/Kavita- ‘Krishna mere aao’

  वह कदम्ब का पण स्पंदन, सावन सी छाया वह पुष्पों के कुंज निकुँजों, की मनभावन माया। वह जमुना का अमृत सा जल, लहर लहर बंतियाँ वह बौराई अनुपम सुन्दर, गोकुल की सखियां। ◆ये भी पढ़ें-बरसाने के अद्भुत दोहे भले नहीँ वो युग आये पर, आप चले आओ हो सम्भव तो पुनः धरा पर, कृष्ण

कहानी-नहरिया , किसान पर कहानी, भारतीय किसान पर कहानी

किसान पर कहानी – एक निर्धन किसान भुल्ले की ऐसी मार्मिक कहानी जो आपको द्रवित कर देगी। आज भी विकास से दूर छोटे छोटे गाँवों में सवर्ण दबंगों की दबंगई के शिकार दीन हीन किसान होते रहते हैं। वर्चस्व की यह अघोषित सत्ता आज भी अपना लाल रंग गाँवों में बिखेरती रहती है। आशा करता

उड़ती बात में आपका स्वागत है.. । welcome in udti baat ।

उड़ती बात में आपका स्वागत है – आज october 17, Monday को मैं, मेरे आराध्य देव, देवाधिदेव 1008 श्री आदिनाथ भगवान के श्री चरणों का सुमिरन करके, उनसे अनुमति ले कर, उनका अलौकिक आशीर्वाद लेकर अपने ब्लॉग https://udtibaat.com पर अपना पहला पोस्ट उड़ती बात में आपका स्वागत है पब्लिश कर रहा हूँ। मेरे कई मित्रों ने

मंच संचालन स्क्रिप्ट-Manch sanchalan script

‘स्थापना दिवस’  दिनांक -09 अगस्त 2016  कार्यक्रम संचालक-अमित ‘मौलिक’     क्र.1  कार्यक्रम आरंभ की घोषणा     मौलिक- हमारे दिगम्बर जैन सोशल ग्रुप जबलपुर नगर के सभी मित्रों और हमारे खास मेहमानों को जय जिनेन्द्र, प्रणाम, नमस्कार। मै अमित मौलिक आज के इस स्थापना दिवस के कार्यक्रम में आप सब का बहुत बहुत स्वागत,

मंच संचालन शायरी-पार्ट 3 । Anchoring Shayari-part 3

  आपके सामने प्रस्तुत है मंच संचालन शायरी पार्ट-3 आशा है कि आपको यह प्रयास पसन्द आयेगा। अगर पसंद आये तो अपनी राय और सुझाव कमेंट बॉक्स में अवश्य दर्ज करें। मंच संचालन शायरी ऐसा हुनर ऐसी सादगी ऐसी रहनुमाई की कैफियत नहीं देखी किरदार तो बहुत देखें हैं ज़माने में पर आप जैसी शख्सियत नहीं देखी।

कविता-क्षोभ/kavita-chhobh

  उदारमना, तुम्हें क्षोभ किस बात का मैं तो निर्जन में पनपा एक दुर्बल तनका पौधा हूँ  जो कभी बड़ा ही नहीँ हुआ अभी ढंग से खड़ा भी नहीँ हुआ सदा निराशा में बिंधा चंद टहनियों की जवाबदारियों में बंधा राह तकता हुआ किसी अन्जाम की किसी परिणाम की, यकबयक तुम्हारे प्रकाट्य से जीवन में ढंग आ गया

कविता-रक्त दान। Kavita raktdaan । रक्तदान दिवस पर कविता। रक्तदान महादान पर कविता।

दुनियाँ के समस्त रक्त दान करने वाले देवदूतों को समर्पित रक्त अर्चना करने वालो, हे मतवालो तुम्हें प्रणाम जीवन दाता रक्त प्रदाता, रचने वालो तुम्हें प्रणाम। किसको है परवाह यहाँ पर, उमरा बीती जाती है मतलब स्वार्थ परस्ती खातिर, दुनिया जीती जाती है। ये भी पढ़ें: स्वच्छ भारत अभियान पर कविता ये भी पढ़ें: कविता जल बचाओ कल

कविता- हो सके तो /kavita-ho sake to

तुमने कहा  बहकना  ठीक नहीँ  तो फ़िर यूँ  चहकना भी  ठीक नहीँ,  तुम पात्र ही नहीँ  रस पीने के  कुचल क्यों नहीँ देते  अरमान  सब सीने के  देखो,  सतत बनी हुई  एकरसता  रुग्ण कर देती है  बनावटी  सात्विकता  अवसाद भर देती है  गुंजाइश सदा ही होती है  नये पंखों की  नये अंकुर की  लेकिन  पहले तय करो कि 

पानी पर हाहाकारी कविता। कविता-जल बचाओ जीवन बचाओ । Kavita -Jal bachao jeevan bachao

  कोई तो नई कहानी कर दो, कोई तो अलख जलाओ आओ आओ सब मिल आओ, मिलकर नीर बचाओ। बूँद नहीँ है यह अमृत है, ऐसे नहीँ बहाओ आओ आओ सब मिल आओ, मिलकर नीर बचाओ । जैसे स्वांस बिना है दुष्कर, जी ना सका कोई ना वैसे ही आसान नहीँ है, जल बिन जीवन