श्री भक्ताम्बर पाठ की महिमा वर्णन/Shri Bhaktaamar Paath ki mahima barnan

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दुर्जन अरिकुल जीतके जय पावे निकलंक 
तुम पद पंकज मन बसै ते नर सदा निशं
तुम पद पंकज धूल को जो लावे निज अंग 
ते नीरोग शरीर लहि छिन में होय अनंग 
 
देवों के भी देव दीनों के नाथ त्रिलोकपति महाप्रभु श्री आदिनाथ भगवान की महिमा अगम्य है। 11वीं शताब्दी में तत्कालीन अधर्मी राजा हर्षवर्धन ने सत्ता के मद में चूर हो कर मुनिश्रेष्ठ को यह चुनौती देकर मोटी साँकलों में बाँधकर 48 तालों के गहन कारागार में कैद कर दिया कि यदि तुम्हारे अहिंसक धर्म में, तुम्हारे कथित भगवान में कोई सत्यता है तो उन्ही से सहायता कि प्रार्थना कर लो। 
आचार्य श्री ने निस्पृह होकर पूर्ण चन्द्र की कलाओं के समान उज्ज्वल श्री जी के अतुल्य गुणों की भावविव्हल होकर स्तुति आरम्भ की और चमत्कारिक रुप से समस्त बंधन ताले टूट गये, यहाँ तक की कारागार में, राजा के समस्त बंदी जन भी बंधनों से आजाद हो गये। 

 

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इस प्रकार से करुणा निधान के गुणों का स्तवन भक्तामर की अद्भुत रचना हुई। इस स्तुति का एक एक पद्य अपने आप में संपूर्ण मंत्र है जिनके ऊपर पूरी दुनिया में अभिनव प्रयोग हो रहे हैं। 
असाध्य रोगों के इलाज हो रहे हैं। 
मनोकामनाएं पूर्ण हो रहीं हैं। 
संसार में सभी धर्मों में यही एक मंत्र सम्मत स्तुति है जिसका अनुवाद 130 भाषाओं भिन्न भिन्न देशों में हुआ जो की इसकी महिमा, महत्ता, प्रासंगिकता एवम संसार में स्वीकार्यता को दर्शाने के लिये पर्याप्त है। 
‘श्री जी की महिमा अगम है कोई ना पावे पार’ 
आज से कुछ वर्षों पूर्व हनुमान ताल जैन मंदिर में श्री आदि प्रभु की जीवंत प्रतिमा से आल्हादित मुनि पुँगव श्री सुधा सागर जी महराज ने आदेश किया की  इस मंदिर जी में अखंड भक्तामर पाठ का शुभारम्भ किया जाये जो की आज भी एक मिसाल बना हुआ है। 
हनुमान ताल जैन मंदिर में विराजित श्री आदिनाथ भगवान की जीवंत प्रतिमा  अतिशय कारी है। उन साक्षात विराजित करुणा निधान से साक्षात्कार करने का सुअवसर एक अलौकिक अनुभूति है। और उनके अलौकिक चरणाबिन्द में समर्पित हो कर उनकी स्तुति करना स्वयं में दिव्यता को जगाने जैसा अपूर्व आनँद है जिससे कौन मनुष्य है जो वंचित रह जाना चाहेगा। 
दिगम्बर जैन सोशल ग्रुप जबलपुर नगर ने कल कल बहती महाप्रभु की परम कृपा का लाभ उठाने के लिये प्रत्येक माह के प्रथम शनिवार को अपने समस्त दम्पत्ति सदस्यों के साथ भक्तामर पाठ के इस महा आयोजन में सम्मिलित होना प्रारम्भ किया है। 
आप सब साधर्मी दम्पति सदस्यों से अनुरोध है की महाप्रभू की दिव्य छाया में आल्हादित होने के लिये भक्तामर पाठ के इस चमत्कारिक महा आयोजन में अनिवार्य रुप से पधारे एवम पुण्य का संचय करें। 
दिन-शनिवार 
तिथि-1st अक्टूबर 2016 
समय-रात्रि 9 बजे 
स्थान-श्री हनुमान ताल जैन मंदिर 
 

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