कालाधन पर मोदी जी का 09/11 कविता । Black money banned in india poem

  इक झटके में ठन ठन बाबा, हमको आज बना डाला बहुत हो उत्पाती मोदी जी, हाय राम क्या कर डाला। रह रह कांप रहा है सीना, प्राण हलक में आता है छप्पन इंची छाती लेकर, ऐसे कोई डराता है। ये कैसी है साफ़ सफाई, कैसा स्वच्छता का अभियान गुड़ को गोबर बना दिया है,

बाल दिवस पर कविता-बाल दिवस पर एक शानदार कविता Children’s Day Poem

बाल दिवस पर कविता – उड़ती बात के सभी पाठकों को स्नेहिल अभिवादन। दोस्तों कहते हैं कि बच्चे भगवान का रूप होते हैं। और यह भी कहा जाता है कि बच्चे ही किसी भी देश का स्वर्णिम भविष्य होते हैं। हमारे देश में प्रतिबर्ष 14 नवम्बर को बाल दिवस जिसे आजकल की आम भाषा में

जंक फूड पर एक सुन्दर कविता। Junk food par Kavita । जंक फूड पर कविता हिंदी में

जंक फूड दुश्मन है बच्चो, सेहत नहीं ख़राब करो  गड़बड़ झाला झट पट भोजन, बचपन ना बर्बाद करो। कितने सारे स्वाद भरे, व्यंजन बनते हैं भारत में  पुआ परांठे पूरण पूरी, पपड़ी हर घर आँगन में। चटक चटपटे सेव सिमेंय्या, रसगुल्ले मन ललचायें गुपचुप छुप छुप खूब उड़ायें, दूध जलेबी भी खायें। फ़ूड अटपटा बजन

मंच संचालन स्क्रिप्ट- संगीत संध्या । Anchoring script-musical night

  -नमस्कार दोस्तो, संस्कारधानी कला परिषद् द्वारा होली मिलन के सुअवसर पर आयोजित इस सुरों से गुनगुनाती हुई शाम में मैं अमित ‘मौलिक’ आज के कार्यक्रम के अतिथि गण, विशिष्ट जन एवम आप सब संगीत प्रेमियों का बहुत बहुत स्वागत करता हूँ-एहतराम करता हूँ । आज की इस सुरीली शाम को सुर बद्ध करने वाली

कविता-‘उम्मीदें’/Kavita-‘Umeeden’

अब फिर से उम्मीदें  बढ़ने लगी हैं  तितलियां जो कमजोर थीं  उड़ने लगी हैं  उमंगों में नईं कोंपलें  फूटने लगी हैं  मायूसी की दीवारें  टूटने लगी हैं  धड़कनें  ग़ज़ल गुनाने लगीं हैं  नई कवितायें  भी समझ आने लगीं हैं  तो क्या  फिर से बहार आई है  तो क्या  फिर से घटा छाई है  बात  समझ

माँ सरस्वती वंदना। स्वागत गीत। Maa Saraswati vandana। Swagat Geet ।

  माँ सरस्वती वंदना मेरी मैया शारदे माँ मुझे अपना बना लेना  तू ममता का समंदर है मुझे कतरा बना लेना। सुरीली मुग्ध सरिताएं मेरे उर में बहा दे माँ  ह्रदय में बाँसुरी की धुन ज़रा संगीत भर दे माँ  मैं बन जाऊँ मधुर मिश्री मुझे सुर पांचवां देना।   ये भी पढ़ें: श्री गणेश

गीत-सर्वत्र तुम्हीं/Geet-Sarvatra Tumhi

   गीत  हर राग रंग हर अंतरंग, हर कण में तुम्ही तृण तृण में तुम्हीं हर गाँव-गाँव हो धूप-छांव, हो रात-रात के चाँद तुम्हीं  झरने की कल-कल मधुर ध्वनी, पहली-पहली बारिश की नमीं तुम उगते सूरज की लाली, और भौंरे का गुंजन हो तुम्हीं  बेला गुलाब की गंध तुम्हीं, तुमहीं हरी घास पै ओस के

3 बेहद दिलकश ग़ज़लें। 3 मोहब्बत से भरी दिलकश ग़ज़लें । 3 beautiful Love Ghazals

ग़ज़ल-ख़फ़ा सारा चमन जला बैठे वो क्यों ख़फ़ा ख़फ़ा बैठे। देर लगी क्यों आने में कब से हम तन्हा बैठे। प्यार से पूछा उसने जो सारा हाल सुना बैठे। गज़ब हुआ उस रात को हम चाँद को चाँद दिखा बैठे। हंगामा क्यों बरपा है जो उसको खुदा बना बैठे। ◆ये भी पढें-इश्क़ के दोहे। प्यार

कविता -सती सीता की व्यथा/Kavita -sati Seeta ki vyatha

          आज मैं गाऊँ एक कहानी सच्ची तुम्हें सुनाऊं  थी राजकुमारी एक पिता मिथलेश शील और त्याग की गाथा गाऊँ सीता था उसका नाम गुणों की खान, थी सुन्दर उसकी काया थी रूप की चर्चा दूर बुद्धि भरपूर, थी धरती माता उसकी जाया   ये भी पढ़ें: गंगा नदी पर कविता

गंगा नदी पर कविता/Ganga nadi par kavita

  कैसे पावन गँगा का इस धरती पर अवतरण हुआ कैसे थे वो भागीरथ परमार्थ का ऊँचा गगन छुआ  इक्ष्वाकु कुल के वंशज श्री राम के विरले पूर्वज थे परम प्रतापी सगर नाम के राजा एक अपूरब थे  दिकशासन की इच्छा थी मैं चक्रवर्ती सम्राट बनूं क्यों ना अश्वमेघ करवाऊं कुल शासन जयवन्त करूं  हुआ