Udtibaat App : नमस्कार मित्रों, एक लंबे अंतराल के बाद उड़ती बात पर कोई आर्टिकल लिखने आ पाया हूँ। कुछ व्यावसायिक व्यस्तताओं के कारण वेबसाइट को समय नहीं दे पा रहा। किन्तु शीघ्र ही आप सबके समक्ष नियमित उपस्थित होने लगूँगा। आशा है आप सब मुझे क्षमा करेंगे। जिन प्रिय पाठकों ने udtibaat app को
नमस्कार दोस्तों गीतकार अमित जैन मौलिक , आपका मित्र आप सभी का स्नेहिल अभिवादन करता है। मित्रों मुझे खेद है कि अब मैं उड़ती बात को उतना समय नहीं दे पा रहा हूँ जितना कि देना चाहिए। दरअसल कुछ अन्य व्यवसायिक गतिविधियों के साथ साथ मंचीय कार्यक्रम भी करना आरंभ किये हैं। आप सबकी दुआओं
उड़ती बात का एप udti baat app – उड़ती बात के सभी पाठकों को अमित मौलिक का वन्देमातरम। मैं आप सबको इस आर्टिकल के द्वारा एक महत्वपूर्ण सूचना देना चाहता हूँ। कुछ दिनों पहले मैंने उड़ती बात का एप ( udti baat app ) लाँच किया था। आपमें से बहुत सारे पाठकों ने इस ऐप
कश्मीर में पत्थरबाजों के एनकाउंटर पर कविता – सभी पाठकों को जय हिन्द। काश्मीर के पुलवामा में 15/12/18 को सेना के द्वारा 3 आतंकवादियों के साथ 8 पत्थरबाजों के एनकाउंटर पर प्रस्तुत है दो टूक बात कहती कविता। मित्रों इस बावत कहना होगा कि देर से ही सही पर दुरुस्त हुआ। पाकिस्तान समर्थित, वित्तीय पोषित
-नमस्कार दोस्तो, संस्कारधानी कला परिषद् द्वारा होली मिलन के सुअवसर पर आयोजित इस सुरों से गुनगुनाती हुई शाम में मैं अमित ‘मौलिक’ आज के कार्यक्रम के अतिथि गण, विशिष्ट जन एवम आप सब संगीत प्रेमियों का बहुत बहुत स्वागत करता हूँ-एहतराम करता हूँ । आज की इस सुरीली शाम को सुर बद्ध करने वाली
आज मैं गाऊँ एक कहानी सच्ची तुम्हें सुनाऊं थी राजकुमारी एक पिता मिथलेश शील और त्याग की गाथा गाऊँ सीता था उसका नाम गुणों की खान, थी सुन्दर उसकी काया थी रूप की चर्चा दूर बुद्धि भरपूर, थी धरती माता उसकी जाया ये भी पढ़ें: गंगा नदी पर कविता
उड़ती बात में आपका स्वागत है – आज october 17, Monday को मैं, मेरे आराध्य देव, देवाधिदेव 1008 श्री आदिनाथ भगवान के श्री चरणों का सुमिरन करके, उनसे अनुमति ले कर, उनका अलौकिक आशीर्वाद लेकर अपने ब्लॉग https://udtibaat.com पर अपना पहला पोस्ट उड़ती बात में आपका स्वागत है पब्लिश कर रहा हूँ। मेरे कई मित्रों ने
बूढ़ा पेड़ कनेर का, पनघट के था पास रोज़ सबेरे मिलन की, करते थे हम आस मुट्ठी भर के दूब ली, फूल चमेली तीन भेंट में दे के हो गये, बातों में तल्लीन लोहडी का मेला गये, मंगल का बाजार काका जी की गोलियाँ, भूल गये हो यार इमली पत्थर पीस के, चटखारे छै सात