होली शायरी थोड़ी शोख़ी थोड़ा तबस्सुम थोड़ी हया दे दो होली आई है मुझे मुहब्बत का रंग बनाना है लाल गुलाबी नीले-पीले हरे रंग दिखला देंगें होली आने दो तुम सजनी रंगों से नहला देंगें नये रिवाज़ रिवायत हैं ढंग लाये हैं ख़्वाब और ख़्वाहिशों की मौज संग लाये हैं हम शराफ़त से तेरे रुख़
मजलूमों के मसीहा हो, बेसहारों का सहारा हो बेरहम तपती धूप में, शज़र की शीतल छाया हो आपकी तारीफ़ में कहने को, शब्द कहाँ से लायें हम आप तूफानों में कश्ती हो, डूबतों का किनारा हो आपका इकबाल और बुलंद हो, दुनिया पर छाते रहें सितारे चाँद सूरज सब, आपके ज़माल से घबराते रहें हम
मंच संचालन के लिये शायरी – प्रस्तुत है Anchoring shayari की श्रृंखला में दूसरी कड़ी मंच संचालन के लिये शायरी । आशा है आप सबको पसंद आयेगा। मंच संचालन के लिये शायरी इस रंग भरे गुलशन में हम, खुश्बू का गगन बनायेंगे लज़्ज़त के नए हिंडोलों में, झूलेंगे और झुलायेंगे यह महज़ नहीं इक आयोजन,
ताली शायरी – एंकरिंग में एंकरिंग शायरी, गेस्ट वेलकम शायरी का जितना महत्व है उतना ही ताली शायरी का भी महत्व है। ज्यादा और बेहतर तालियों की ज़रूरत है तो ताली शायरी का भरपूर प्रयोग करें देखिये कार्यक्रम में किस तरह से जान आ जाती है। आज के इस आर्टीकल में आपके लिये प्रस्तुत हैं
आभार शायरी – सभी मंच संचालक मित्रों को स्नेहिल अभिवादन। मंचीय प्रस्तुतिकरण में अगर कोई सबसे महत्वपूर्ण क्रम होता है तो वो होता है अतिथियों का स्वागत क्रम। इस आर्टीकल आभार शायरी में अतिथि स्वागत शायरी एवम Gratitude shayari का प्रथम collection आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूँ। आशा है इससे आप सबको कुछ सहायता
ये आँखें ख्वाबगाह बन गईं तुम्हारे तसब्बुर में सोते सोते सारा असबाब तरबतर हो गया है तेरे ख्याल में रोते रोते हम पर तुम्हारी मुहब्बत का नशा इस तरहा तारी है कि हम कमजोर दिल के होते तो दुनिया से चल दिए होते फर्क है बात मे सच भी है झूठ है सुर्ख सूरज हुआ
दुआयें तुम को ढूँडेंगी अगर इंसाफ तुम कर दो मै कह दूँगा जो दिल में है अगरचे माफ तुम कर दो समंदर को सुधा करके तुम्हें सौगात में दूँ जो चाहत में तुम्हारा हाथ मेरे हाथ पर रख दो कभी मेला कभी महफिल कभी संसार कर लेना अगर तन्हाई ज्यादा हो तो चिठ्ठी तार
तेरे अलावा मेरा कौन कहाँ जायेंगे दिमाग से चलेंगे दिल से लौट आयेंगे मुहब्बतों की कसम है तुम्हें हबीब मेरे जो रूठ जाऊँ मना लेना मान जायेंगे तुम उगा तो लिये सूरज वो दिन बनेंगे नहीँ खुदा से नूर मंगा लो ये गुल खिलेंगे नहीँ तसल्लीयों से हवा में उड़ान भरते रहो अब अगर ढूँढ़ने
बातो-बातों में मुँह मोड़ना आ गया हाथ मझधार में छोड़ना आ गया इससे ज्यादा मुझे और क्या सीखना प्यार में आज दिल तोड़ना आ गया इस शहर में नहीँ गाँव में ले चलो पंख ना खोलना पाँव में ले चलो तुम मेरी आँख में डूब जाना वहीँ आम के पेड़ की छाँव में ले चलो वक़्त