रोमांटिक शायरी ‘चिट्ठी तार’ । Romantic Shayri ‘Chitthi Taar’

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दुआयें तुम को ढूँडेंगी अगर इंसाफ तुम कर दो 
मै कह दूँगा जो दिल में है अगरचे माफ तुम कर दो 
समंदर को सुधा करके तुम्हें सौगात में दूँ 
जो चाहत में तुम्हारा हाथ मेरे हाथ पर रख दो 

कभी मेला कभी महफिल कभी संसार कर लेना 
अगर तन्हाई ज्यादा हो तो चिठ्ठी तार कर लेना 
तुम्हें आराम मिल जाये खुशी मुझको मिले थोड़ी 
ज़रा मुमकिन लगे तो प्यार से तुम प्यार कर लेना 

 हमारा दिन संवरता है तेरा दीदार करने से 
कोई भी रोक ना पाया किसी को प्यार करने से 
तुम्हें अंदाज़ भी है तुम मेरी किस्मत की चाभी हो 
तुम्हारा क्या बिगड़ता है महज इकरार करने से 

इसे जितना छुपाओगे मचलकर आयेगा उतना 
ये दिल का रोग बढ़ता है दवा दोगे इसे जितना 
किया है याद तुमने आज तक जितना मुझे यारा 
किसी को कर नहीँ सकती मुझे मालूम है इतना 

मुझे मंजूर है तुमने कहा है दोस्त ग़म कैसा 
मगर दिल से जो निकले प्यार तो परहेज क्यों ऐसा 
मुझे अफसोस से कहना पड़ा है आज ये तुमसे 
जो मेरी रूह तक पहुँचे मिला दिलदार ना ऐसा 

जोत ना पूछ जलेगी कब तक प्रीति की बाती गहरी है 
स्वांस ना पूँछ चलेगी कब तक चोट जिगर पै गहरी है 
तर्क नहीँ है शर्त नहीँ है बहता हूँ तो बह जाऊँ 
स्रोत ना पूछ बहेगी कब तक पीर की छाती गहरी है 

मनचली है तकदीर मेरी, बेवफ़ाई को मचल जाती है 
एक दुआ कबूलवाने में ही, जान निकल जाती है 
ऐसा नहीँ है कि मुहब्बत हमें, होती नहीँ किसी से 
मैं छूने ही वाला होता हूँ, कि खुशी फिसल जाती है 

अभी तुमको खुशी से और मिलने की ज़रूरत है
तुम्हे ये दोस्त थोड़ा और खुलने की ज़रूरत है
हया के शोख परदों को हटा देना मेरे यारा
चलो अब मोम पिघलाते हैं जलने की ज़रूरत है

कंचन काया की उतरन उबटन को चंदन कर लेंगे 
तेरी मधुर स्मिता लेकर स्वांस को सँदल कर लेंगें 
हम तो यही दुआयें देंगे सदा रहे अक्षत यौवन 
मौलिक को बख्शीश सही उसमें ही आनँद कर लेंगे 

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