अतिथि स्वागत शायरी/आभार शायरी-पार्ट 2 । Guest Shayari/Gratitude’s Shayari -part 2

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मजलूमों के मसीहा हो,
बेसहारों का सहारा हो
बेरहम तपती धूप में,
शज़र की शीतल छाया हो
आपकी तारीफ़ में कहने को,
शब्द कहाँ से लायें हम 
आप तूफानों में कश्ती हो,
डूबतों का किनारा हो

आपका इकबाल और बुलंद हो,
दुनिया पर छाते रहें
सितारे चाँद सूरज सब,
आपके ज़माल से घबराते रहें
हम ऐसे ही कुछ न कुछ बहाना,
बनाते रहें बुलाते रहें
और आप फरिश्तों की तरह,
यूँ ही हमारे बीच आते रहें

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एहसास ज़िगर में पलते थे,
हम भी चमकें इस झिलमिल में
पर आपको जबसे देखा है,
हम खूब जले दिल ही दिल में
ये ढंग कहाँ से लायें हम,
ये नेक नियती के मंसूबे
है नमन पधारे आप यहाँ,
स्वागत है श्रीमन महफ़िल में

खुदा ने बेशकीमती नगीने,
निहायत ही चंद बनाये हैं
उनमें से सबसे नायाब,
आज हमारी महफ़िल में आये हैं

जीने का कोई मकसद हो,
कुछ लक्ष्य मिले कुछ चाह मिले
श्रीमान अगर कुछ कह दें,
तो हम सब भटकों को राह मिले

आपकी नूरानी छाँव में चैन पाने को,
सारी दुनिया तमन्नाई है
हमारे तो सितारे बुलंद थे,
जो आज आपकी सोहबत पाई है

जैसे नींद से बहार जागी हो
जैसे धुंध को धूप का संग भा गया
आप आये तो महफ़िल यूँ खिल उठी
जैसे दुआ में असर सजदों में रंग आ गया

दिल की धड़कन कभी इतनी प्यारी ना थी
आपसे मिलने की कभी इतनी बेकरारी ना थी
दुनिया के दर्द को जो दिल में भरे रहते हैं
ऐसे लोगों से पहले हमारी यारी ना थी

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