होली पर मंच संचालन शायरी । Holi par manch Sanchalan shayri

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होली शायरी

थोड़ी शोख़ी थोड़ा तबस्सुम थोड़ी हया दे दो
होली आई है मुझे मुहब्बत का रंग बनाना है

लाल गुलाबी नीले-पीले हरे रंग दिखला देंगें
होली आने दो तुम सजनी रंगों से नहला देंगें

नये रिवाज़ रिवायत हैं ढंग लाये हैं
ख़्वाब और ख़्वाहिशों की मौज संग लाये हैं
हम शराफ़त से तेरे रुख़ पे थोड़ा मल देंगें
आज मत रोकना होली है रंग लाये हैं

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ढोल मंजीरे फगुआ तानें मिश्री जैसी बोली हो
होली हो तो वही पुरानी चौपालों की होली हो

नए नियम और नई रीतियाँ नये रिवाज़ बनायें हम
दर्प भुलाकर इक दूजे को आओ गले लगायें हम
बादल इक रंगीन बनायें फ़लक से बूंदें बरसायें
इक-दूजेे को रंग लगायें होली आज मनायें हम

होली शायरी

रंग बिरंगी दुनिया लाये, संग उमंगों के संजोग
लाल हरे कुछ नीले पीले, नारंगी कुछ काले लोग
होली पर खुशियां भी होलीं, छैल छबीलीं गुलनारीं
रंज भुलाकर रंग लगाने, आये हैं मतवाले लोग

कैसे भूलें तेरी गलिंयाँ ढोलक वाली थप्पी को
कैसे भूलें तेरी मीठी जादू वाली झप्पी को
वो भी दिन क्या दिन थे सजनी वो होली क्या होली थीं
तेरे बिन सब कुफ़्र है जाना लानत मेरी तरक्की को

इस बार की होली आने दो, हम रंग लगाकर मानेंगे
तुम हाथ छुड़ाकर भागोगे, हम अंग लगाकर मानेंगे

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तेरी मक्खन सी रंगत में चुटकी भर सिंदूर मिला देंगें
होली है तो आने दे ताजमहल को लालकिला बना देंगें

कुछ शोख़ अदा लब के शोले, तेरी जुल्फों की छैयाँ कुछ
उलझी उलझी सी बतियाँ कुछ, जागी जागी सी रतियाँ कुछ
इक रंग बनाया है सजनी, होली पर तुम्हें लगायेंगे
कुछ ख़्वाब अधूरे घोले हैं, घोलीं झूठी गलबहियाँ कुछ

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