मंच संचालन शायरी पार्ट 5 – एंकरिंग शायरी, Anchoring Shayari in hindi, stage shayari, bhasan shayari

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मंच संचालन शायरी पार्ट 5 – सभी माइक के विजेताओं को स्नेहिल अभिवादन। आज का यह आर्टिकल मंच संचालन शायरी पार्ट 5 में आप सबके समक्ष मिश्रित शायरी संग्रह प्रस्तुत कर रहा हूँ। इस पोस्ट में सभी तरह की मंच संचालन शायरियाँ संग्रहित हैं। आशा है कि सदा की तरह आपका स्नेह और आशीर्वाद मुझे प्राप्त होगा।

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मंच संचालन शायरी पार्ट 5

दोस्ती वरदान है दोस्ती ईमान है
दोस्ती भरोसा है दोस्ती सम्मान है
अगर मिल जाये एक सच्चा दोस्त
तो मिल जाता सारा ज़हान है।

हमें कोई ज़ागीरी की तमन्ना है भी नही
बस आप मेरे हो गये तो अमीरी हो गई।

गहरे उतरो ह्रदय में, तलछट मोती ढेर
बाहर से न तौलना, भीतर अनुपम नेह।

घटा के साथ कहीं, चांदनी भी रोई थी
फ़िज़ा इबादतों में, बेख़बर थी खोई थी
तेरी सलामती की दुआ, मांगती ही रही
ये नींद देर तलक, रात को ना सोई थी।

भरा था दिल मे समंदर, मैं रो नही पाया
बोझ सा हो गया मंज़र, मैं ढो नही पाया
रात भर नींद दुआओं में, मेरे संग रही
तुम्हारी फ़िक्र थी अंदर, मैं सो नही पाया।

बचपन भुलाये भूलता नहीं है उम्रभर
वो जोश वो ललक से भरा दौर उम्रभर
सच पूछिये तो उसके बाद देख न सका
मैं ख़्वाब मज़ेदार कोई एक उम्रभर।।

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मिलो मिलाओ रोज ही, रखो तरल संबंध
आधे मन से आये न, रिश्तों में आनंद।

बूँद-बूँद से घट भरा, बूँद-बूँद से सिंधु
बादल बनकर नयन से, बरस उठा आनंद।

आशिष अनुपम दे दिया, नेह दिया भरपूर
यही प्रार्थना है मेरी, कभी ना करना दूर।

कोई हसीन कदम पड़े हैं गुलिस्तां में।
फिजायें सज़दे में हैं हवायें दुआयें माँग रहीं।

धर्म हिंदुत्व को सर पर, ह्रदय में राम रखते हैं
जुनूँ दिल में, हथेली पर सदा ही जान रखते हैं
बड़ा है गर्व हम सब को, आपकी ऐसी निष्ठा पर
त्याग सँघर्ष का हम आपके, सम्मान करते हैं।

भले सूरज निकल आये, सितारे कम नही होते
जहाँ में कौन ऐसा है, जिसे कुछ गम नही होते
आपकी मुस्कराहट ने, हमें जीना सिखाया है
अगर जो आप ना होते, तो हम भी हम नही होते।

समंदर में शहद घोलो, तो कोई बात मानूँगा
मधुर हों बोल जब बोलो, तो कोई मानूँगा
तिरंगा हाँथ में लेकर, बड़े अभिमान से यारो
ज़रा जय हिंद सब बोलो, तो कोई बात मानूँगा।

तेरे शहर में तो चिराग-ए-नूर की क़द्र ही नही
हमारे गाँव में तो अंधेरे भी सलाम किया करते थे।

पुलकित मन पुलकित हृदय, सबका शुक्रगुज़ार
प्रेम सदा रखियो यूँ ही, बहुत बहुत आभार।।

ये राहत यूँ नहीं मिलती, कलंदर बनना पड़ता है
दिलों पर राज करने को, सिंकंदर बनना पड़ता है।

है कितनी हैसियत समझो, कभी औक़ात तो देखो
हो तुम गीदड़ कहाँ हम शेर, अपनी जात तो देखो।

ज़िंदगी की रफ़्तार बहुत तेज है, जाना कहीं नहीं है।
सब चुटकियों में मिल रहा है, पाना कुछ भी नहीं है।

पढ़ सकते तो पढ़ लो मुझको, ग़ज़ल गीत सब लिखता हूँ
शब्द नहीं अव्यक्त सभी है, शब्दों में कम लिखता हूँ।

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