-चित्र साभार गूगल से- हाइकु जापानी काव्य विधा का एक छंद है जिसे आजकल बहुतायत में लिखा जा रहा है। हिंदी काव्य में हाइकु का प्रयोग एक अभिनव प्रयोग है और बहुचर्चित कवियों ने अपने काव्य लेखन में इस छंद को स्थान दिया है। केवल तीन पंक्तियों के छंद हाइकु में प्रथम पंक्ति में
जो पूरे होते हैं, वही अधूरे होते हैं। सुनो, तुम सुरमें का टीका भी लगाया करो। हुस्न वालों को ख़ुद की नज़र भी लग जाया करती है।। ये जो तुम जरा-जरा सी बात पर सोचने लग जाते हो हैरत है कि तुमने मोहब्बत करने की हिम्मत कैसे कर ली। तुम अपने काम से काम क्यों
अब कौन किसे रुला रहा है नादान नही हूँ सब जानता हूँ। इतना कम वक्त ऊपर से उनके झगड़े या खुदा रहम कर रहम कर रहम कर। तुमने मुझे आप कहा तो खुश हूँ बहुत इत्मीनान है तुम्हें मेरी कद्र अभी भी है। ये भी पढ़ें:- तड़पते दिल की दो मोहक ग़ज़लें चार पंक्तियों की
बेख़बर हो इसलिये मुआफी है जान के करते तो जान ले लेता। नादानियाँ इतनी भी बुरी नही होती ज़्यादा इल्म ही इनको बुरा बनाता है। तू जैसे चाहे मुझसे इंतकाम ले ले बस एक बार आजा फिर चाहे जान ले ले। अब तुम्हारे बहाने जायज़ लगने लगे हैं शायद इश्क एक मुकाम पर पंहुच गया।
दुआयें तुम को ढूँडेंगी अगर इंसाफ तुम कर दो मै कह दूँगा जो दिल में है अगरचे माफ तुम कर दो समंदर को सुधा करके तुम्हें सौगात में दूँ जो चाहत में तुम्हारा हाथ मेरे हाथ पर रख दो कभी मेला कभी महफिल कभी संसार कर लेना अगर तन्हाई ज्यादा हो तो चिठ्ठी तार
तेरे अलावा मेरा कौन कहाँ जायेंगे दिमाग से चलेंगे दिल से लौट आयेंगे मुहब्बतों की कसम है तुम्हें हबीब मेरे जो रूठ जाऊँ मना लेना मान जायेंगे तुम उगा तो लिये सूरज वो दिन बनेंगे नहीँ खुदा से नूर मंगा लो ये गुल खिलेंगे नहीँ तसल्लीयों से हवा में उड़ान भरते रहो अब अगर ढूँढ़ने