देशभक्ति शायरी – Deshabhakti shayari । तिरंगे की शायरी । तिरंगे पर चार लाइन शायरी ।
देशभक्ति शायरी – दोस्तों, आप सभी को जय हिंद। आपके सामने प्रस्तुत है उड़ती बात special देशभक्ति शायरी एवम तिरंगा शायरी। देशभक्ति गीतों की मंचीय प्रस्तुति में भी इस देशभक्ति शायरी का प्रभावी प्रयोग किया जा सकता है। अपनी अमूल्य प्रतिक्रिया से अवश्य अवगत करायें।
देशभक्ति शायरी
वतन की आन बान शान बहुत प्यारी थी
ये वंदे मातरम की तान बहुत प्यारी थी।
तुम्हारी आँख के आँसू उन्हें चढ़ा देना
जिन्हें तिरंगे की मुस्कान बहुत प्यारी थी।।
कोई आकर गले लगाये बहुत अच्छा है।
शराफतों से पेश आये बहुत अच्छा है
हमें न आँख दिखाना की फोड़ देंगें हम
कोई गफ़लत न पालना तो बहुत अच्छा है।
डराते हैं ना किसी को न कभी डरते हैं
राम का नाम लिया मस्त सभी रहते हैं।
हमारी ओर ना अपनी बुरी नज़र रखना
की हम गुस्ताखियों को माफ़ नहीं करते हैं।
उत्तर में तुंग हिमालय हो, हिम से बहती इक गंगा हो
ज़न्नत हो काश्मीर जैसा, अद्भुत अखंड नालंदा हो।
हे ईश्वर जन्म दोबारा दो, तो भगतसिंह सुखदेव बनूँ
बस वतन हो हिंदुस्तान मेरा, हाथों में यही तिरंगा हो।।
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स्वराज्य जान से प्यारा है, इक बार ज़रा नारे कह लो
लक्ष्मीबाई आज़ाद बनो, नस नस में हुंकारें भर लो।
यह आन हमारी बनी रहे, आओ ऐसा संकल्प करें
जब शान तिरंगा है अपना, तो जान तिरंगा भी कर लो।
क्या चीन हमारा कर लेगा, क्या पाकिस्तान बिगाड़ेगा
हम अगर ठान लेंगें मित्रो, नज़रों में खौफ़ समायेगा।
बस हिन्दू सिक्ख मुसलमा से, हम हिंदुस्तानी हो जायें
फिर जो हमसे टकरायेगा, वह चूर चूर हो जाएगा।
निंदा की लफ़्फ़ाज़ी छोड़ो, लफ़्ज़ों में चिंगारी भर लो
दुश्मन ने आँख तरेरी है, इक निर्णय इस बारी कर लो।
लातों के भूत कहाँ सुनते, बातों का जमा खर्च छोड़ो
दुश्मन को मज़ा चखाने दो, अब रण की तैयारी कर लो।।
गद्दारों का क्यों ज़िक्र करें, थे मुग्ध ज़हर को पीने में
बस अपने लिये जिये जी भर, धिक्कार है उनके जीने में
जो लहू वतन का हो न सका, वह लहू नही है पानी है
हम गीत गायेंगे उनके जो, गोली खाते थे सीने में।।
हम अमर शहीदों की ख़ातिर, आँखों को गंगा कर लेंगे।
ईमान तिरंगा कर लेंगें, दिल जान तिरंगा कर लेंगें।
इस भागदौड़ के जीवन को, थोड़ा सा ठहराकर देखो
हाथों में एक तिरंगा लो, तुम ऊँचा फहराकर देखो।।
वाकई आपको शब्दोंमें दिल छू लेने वाली है।
बहुत बहुत धन्यवाद देवांगन जी। आभार आपका
बहुत ही शानदार लाज़वाब आपकी रचना अमित जी
देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत पावनता की सोंधु खुशबू से भरी.वाह्ह्ह.।वाह्ह्ह….???
बहुत बहुत आभार श्वेता जी। आपकी शानदार सराहना मुझे सदा ही संबल देती है। उत्साहवर्धन करती है। आपका विनम्र धन्यवाद
Bahut Khoob.,aap ho agarhare hare jungle…to main ek Hari dub.. Aapko bahut bahut Shukriya ki aapne apni 0anktiyo Ko dekar mujhe bacha Liya..
बहुत बहुत शुक्रिया बहुत आभार मित्र। जय हिंद
आदरणिये मौलिक जी बहुत सुंदर ब्लॉग और उसमे ऐक से ऐक सुंदर रचनाये सब रसो मे मानो समु्द्र है आपका ब्लॉग जिसमे अनेक टापूओ पर रंग बिरंगे फूल खिले है इस हरियाली की अलग ही मस्ती और आनन्द है बस पढ़ते ही जाऔ
परम आदरणीय कविवर, इससे बड़ा आशीष एक कवि को एक बड़े कवि का नहीं मिल सकता। आपका ह्रदय से अतुल्य आभार अतुल्य धन्यवाद। यूँ ही आशीर्वचनों का प्रसाद देते रहें।
बहुत ही जबरदस्त
बहुत बहुत शुक्रिया आपका खत्री जी।
inqlab jindabad jay hind sir firosi ki tamanna ab humare dil me he dekhna he jor kinta bajuye katil me he UP Se Sumendra Mathur fir ud gai nid meri ye sochkr ke jo shahido ka baha khun meri nid ke liye tha
बहुत ख़ूब। बहुत शुक्रिया माथुर साहेब। जय हिंद
Wonderful poetry, Beautiful
बहुत बहुत शुक्रिया आभार आपका। पुनः पधारें
If you have any beautiful short poem on Modi Ji please share with me in my mail
जी डॉ.साहिबा, आप मेरे ब्लॉग पर मोदी जी की मन की बात और कालाधन 09/11 कवितायें पढिये। आपको अवश्य आनंद आयेगा। आपका बहुत बहुत आभार
बहुत सुन्दर कविता लिखा है आपने
बहुत ही सुन्दर रचना है आपकी मैंने आपकी रचनाएं/ कविताओ से बहुत कुछ सीखा है।