होली पर रोमांटिक गीत (3 गीतों की प्रस्तुति ) । Holi par Romantic geet (3 Geeton ki prastuti)

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होली पर रोमांटिक गीत – होली के रोमांस और मस्ती से भरे 3 गीतों की शानदार प्रस्तुति जो आपकी होली की मस्ती के मज़ा को और मजेदार बना देगी। यह आर्टिकल होली पर रोमांटिक गीत आपको कैसा लगा कमेंट करके अवश्य बतायें। 

 

( Track/धुन-जिहाल-ए-मस्ती मकुन-ब-रन्जिश,
बहाल-ए-हिज़्रा बेचारा दिल है, फिल्म-गुलामी )

  ‘फैसला’

इस बार होली, नहीं ठिठोली, हम फैसले के लिये अड़े हैं
लो भंग चढ़ा के लो रंग लगा के, तेरी गली में निकल पड़े हैं

गुलाब की शोखियाँ चुराकर, पलाश की लालियाँ मिलाकर
हम ख़्वाहिशों की गुलाल लेकर, तुझे लगाने निकल पड़े हैं

नदी किनारे उसी पुराने, कुसुम के कुंडों का पानी लेकर
मुहब्बतों की कसक भिगोकर, कसम निभाने निकल पड़े है

तुम्हारे पहलु में दिल बिठाकर, तुम्हारे वादे तुम्हें सुनाकर
अंजाम से बेख़बर तुझी से, तुझे चुराने निकल पड़े हैं

बहानों की तश्तरी तुम्हारी, सितम शिकायत समेट सारी
अहद तुम्हारी कि ज़िद हमारी, लो आज़माने निकल पड़े हैं

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    ‘सजीली

धड़कते दिल का क्या आलम, तुझे कैसे बताऊँ मैं
सजीली कुछ रहम तो कर, तड़प कर मर ना जाऊं मैं

हमें कुछ भी ख़बर ना थी, तुम्हारे हुस्नो शौकत की
तुम्हारी ओर ना तकते, नहीं करते हिमाकत भी
खता कैसे हुई ज़ालिम, तुझे कैसे सुनाऊँ मैं
सजीली कुछ रहम तो कर, तड़प कर मर ना जाऊं मैं

मुहब्बत खुश्बुओं में है, मुहब्बत तितलियों में है
सुना था प्रीत की मैपर, गुलों की शोख़ियों में है
ये सब हैं तेरे दीवाने, किसे जाकर बताऊँ मैं
सजीली कुछ रहम तो कर, तड़प कर मर ना जाऊँ मैं

दरीचे रोज बिछते हैं, बहारों के नज़ारों के
तबस्सुम बूँद बन बिखरा, हैं मेले चाँद तारों के
मुझे रखवालियाँ दे दे, तेरी महफ़िल सजाऊँ मैं
सजीली कुछ रहम तो कर, तड़प कर मर ना जाऊं मैं

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     ‘गोरे गाल’

जब तक रंग लगा न लूँ मैं, तब तक चैन ना पाऊँ
गोरे-गोरे गाल-लाल, कर दूँगा तुझे बताऊँ

पिछली होली कैसे भूलूँ, छिपी अटरिया जाके
आने दे फ़ागुन की बेला, तुझको सबक सिखाऊँ

सोहन मोहन बंटू मंटू, सुबह शाम चिड़कावें
कहें मुंगेरीलाल के सपने, हंस हंस देय बतावें

जब-जब छेड़ूँ तोरी बतियाँ, हवा महल के ताने
फेंकूं राम कहें समझें वो, गप्पी मल के गाने

होती आई हंसी हमारी, विष का घूँट लगे है
धड़कन घट बढ़ जाय हमारी, उलटी स्वांस चले है

पीड़ा भरी जिगर में मेरे, कैसे तुझे बताऊँ
गोरे-गोरे गाल-लाल, कर दूँगा तुझे बताऊँ

भरे मुहल्ले में चुपके से, कह दूंगा सब बातें
कैसे जाग जाग कर बीतीं, तुझ बिन मेरी रातें

कैसे मैंने दिन गिन-गिन कर, इंतज़ार में काटे
कभी तड़प और कभी तसल्ली, ख़्वाब चुभे बन कांटे

बेकदरी मत करियो सजनी, हम हैं तोर दीवाने
तुमसे ही लों लगन लगी, तू माने या माने

चाहत ना ठुकरा देना तुम, मौलिक प्रीत मैं चाहूँ
गोरे-गोरे गाल-लाल, कर दूँगा तुझे बताऊँ।

 

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