भाषण की शुरुआत कैसे करें। भाषण देने की प्रभावी तकनीकें। माइक पर बोलने की तकनीकें। how can you start your speech in hindi

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उदाहरण-सम्मानीय मंच को नमन करता हूँ। यहाँ विराजित सभी सुधीजनों को यथायोग्य अभिवादन करता हूँ। अभी अभी हमारे पूर्व वक्ता आदरणीय श्री……….जी ने कहा कि मातृ शक्ति राजनीति में तब तक अपना पूर्ण योगदान नही कर सकती जब तक पुरुष अपने दोहरेपन की मानसिकता को तिलांजलि न दे दें। मैं अपने पूर्व वक्ता के निजी विचारों का सम्मान करते हुये सादर असहमति व्यक्त करता हूँ या समर्थन करता हूँ (आप पक्ष या विपक्ष में बोलने के अनुसार चुन सकते हैं।

इस तरह की शुरुआत में श्रोताओं पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यह एक दक्ष वक्ता की पहचान कहलाती है। ऐसी शुरुआत के लिये आपको पूर्व वक्ताओं के बोले गये तथ्यों के नोट्स बनाने होते हैं। जब आप ऐसा कर रहे होते हैं तो श्रोताओं और आयोजकों की नज़र में आप गंभीर वक्ता बन जाते हैं।

5-सीधी शुरुआत-पूर्व वक्ताओं के किसी विशेष कथन को पकड़कर अपनी बातें कहना। इस तरह की शुरुआत में सीधा भाषण शुरू कर दिया जाता है बिना किसी औपचारिक भूमिका या अभिवादन के।

उदाहरण-अभी अभी हमारे पूर्व वक्ता सम्मानीय श्री………..जी ने बड़े ही ज़ोर शोर से कहा कि हमारे देश की राजनीति ही नही, समाज और संस्कृति में भी महिलाओं की सर्वश्रेष्ठ भूमिका रही है। उनका योगदान अगण्य है। मैं आज के अतिथि विद्वान से सादर एक प्रश्न पूछना चाहता हूँ कि आज देश की सक्रिय राजनीति में महिलाओं का प्रतिशत…..है, इतना कम क्यों? पिछली पांच लोकसभा के ही आकंड़े उठायें तो…….

इस तरह की शुरुआत को सबसे श्रेष्ठ शुरुआत कहते हैं। इस तरह के वक्ता की अपने विषय पर भरपूर पकड़ होती है। तथ्यों के आधार पर, अनुकूलता के हिसाब से वक्ता, किसी पूर्व वक्ता के किसी खास वक्तव्य को रेखांकित कर अपनी तथ्यात्मक बात कहता है। ऐसी शुरुआत विषय की पूरी जानकारी रखने वाला कर सकता है। आपके आंकड़े सटीक होना चाहिये। और आपकी यादाश्त भी।

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6-पंक्तियों या शायरी से शुरुआत-

इस तरह की शुरुआत मोहक शुरुआत कही जा सकती है। भाषण सदा ही उबाऊ आयोजन माना जाता है। लोग कहना तो चाहते हैं सुनना नहीं। अगर आप पंक्तियों या शायरी से शुरुआत करते हैं तो श्रोताओं को ताज़गी का एहसास होता है। कला हमेशा ही दिल का विषय रही है। और भाषण सदा दिमाग का मुआमला। यह रोचक शैली है।

उदाहरण-

देहि सौभाग्यमारोग्यं, देहि मे परमं सुखम्
रूपं देहि जयं देहि, यशो देहि द्विषो जहि।

नारी शक्ति के आदि स्रोत माँ भगवती के श्री चरणों मे नमन करता हूँ। हमारे समाज मे सर्व प्रचलित मान्यता है कि बच्चियां देवी का रूप होतीं हैं। देवी; जो सौभाग्य, आरोग्य, रूप, विजय, यश और सभी द्वेष विकारों को हरने वाली का प्रतीक होतीं हैं। नवरात्रि में हमारे समाज में कन्या जेवन एक सर्वमान्य आस्था की प्रथा है।

कहा जाता है कि पत्नी ग्रहलक्ष्मी होती है। हम सब अक्सर सुनते रहते हैं, शादी करा दो इस लड़के की, घर मे लक्ष्मी आयेगी तो सब बदल जायेगा। माँ के चरणों मे जन्नत होती है। फिर क्यों हमारी मानसिकता दूसरे की माओं बहनों के लिये इतनी संकीर्ण हो जाती है?

इस तरह की रोचक शुरुआत से श्रोता आप से ह्रदय से जुड़ जाते हैं। icebreak करने की यह सबसे उत्तम तकनीक है और आपको वक्ता के रूप में शीर्ष स्थान प्रदान करती है।

7-कहानी संस्मरण या प्रसंग से शुरुआत-  इस तरह की शुरुआत सबसे सहज, सरल और मनोरंजक शुरुआत मानी जाती है। इस तरह की शुरुआत ऐसी ही होती है जैसे गहन गर्मी में ठंडी ठंडी हवा के झौंके चलने लगे हों। अगर वक्ताओं का एक लंबा क्रम सम्पन्न होने के बाद आपकी बारी आई है तो ऐसा आरम्भ शुभारंभ की तरह माना जाता है। थके औऱ ऊबे श्रोताओं को राहत मिलती है और वो उत्सुक हो आपकी बात सुनने लगते हैं।

उदाहरण-सम्मानीय मंच को नमन करता हूँ। उपस्थित गुणीजनों को सादर अभिवादन करता हूँ। यहाँ विराजित मातृ शक्ति को सादर प्रणाम करता हूँ। मैं तो सभी वक्ताओं से सहमत हूँ। सबने अपने अपने विचार प्रस्तुत किये। आख़िर सबका अपना अनुभव है। मैं तो कहता हूँ कि इस सृष्टि में अगर कोई शक्ति है तो वो नारी शक्ति ही है। बाकी सब तो झूठमूठ के दावे करते करते हैं।

एक बहुत ही प्रचलित लतीफ़ा याद आ रहा कि एक बार अकबर बीरबल में इस बात को लेकर ठन गई कि सभी पति अपनी बीबी से डरते हैं। बीरबल कहते हैं कि कोई ऐसा नही जो न डरता हो। अकबर को बात लग गई…

इस तरह की मनोरंजक शुरुआत से श्रोता आनंदित मेहसूस करते हैं और वक्ता का नियंत्रण श्रोताओं पर पूर्णतया हो जाता है।

आशा है कि आपको यह लेख भाषण की शुरुआत कैसे करें पसंद आया होगा। अगर पसंद आया हो तो इसे अवश्य share करें। किसी तरह का सुझाव हो तो ज़रूर बतायें। धन्यबाद

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