गुरु पर कविता। गुरु की महिमा पर कविता। शिक्षक दिवस पर कविता। शिक्षक दिवस कविता। poem on teachers day
घोर अमावस रात में, नीरवता इतराय
वैसे ही अज्ञान में, कुमति पुष्ट हो जाय।
मति है नीरज तुल्य ये जानो, ह्रदय पात्र सम है ये मानो
जैसा इसमें द्रव्य मिलाओ, जस का तस परभाव विचारो।
नीम मिलाओ कड़वा पानी, कर्कशता ना जाय बखानी
घोलो इसमें शहद चासनी, सरस मधुरतम होवे प्राणी।।
घोला सुरस सत्संग गुरु का, निलय होता निरमलं
मन सुरभि परिमल हो गया, नीरज हुआ गंधोतकम।
भय नस गया रवि बस गया, कोई शंक पंक न रंच तम
आशीष गुरु का मिल गया, आकण्ठ होता अमृतम।।
गुरु की महिमा जान, सम्भु ब्रम्ह नारायनम
आर न पावें पार, गुरु बिन दुर्गम नर जनम।
ये भी पढ़ें-शिक्षक दिवस पर कविता
ये भी पढ़ें-शिक्षक दिवस के कार्यक्रम का आमंत्रण ड्राफ्ट
ये भी पढ़ें-शिक्षक दिवस एंकरिंग स्क्रिप्ट
———————————-
शीश चढे तो दीजियो, सतगुरु का न मोल
कम है कीमत जानियो, गुरु हैं बड़े अमोल।
कंचन मणि की गणना होई, कीमत नही ज्ञान की कोई
मिट्टी तो मिट्टी ही होई, सुमति पाय तो रज बन सोही।
अतुल भाग्य हैं मन हर्षाये, मूढ़ मति ने सद्गुरु पाये
सार्थकता जीवन में भरने, याचक होकर शरण में आये
अर्पण करो तन मन वचन, धर विनय बन विद्यार्थी
कौन्तेय तुम बन जाओगे, माधव बनेंगें सारथी।
संचय अमिय हो जायेगा, जो पात्र रिक्त बनाओगे
बन कर सरोवर ज्ञान का, मौलिक सुधा बरसाओगे।
शिक्षक ईश्वर रूप, होय कृपा सब सुगम है।
शिष्य तरे भवकूप, गुरु की महिमा अगम है।
Share this:
Related Posts
बलात्कारियों पर कविता – यह कविता एवं वीडियो हर उस व्यक्ति को पढना-देखना ज़रूरी है जिसके घर में बेटी, बहन, पत्नी एवम अन्य महिलायें हों।।
स्वच्छता पर शायरी – स्वच्छता पर नारे, स्वच्छ भारत अभियान पर दोहे
बाल दिवस पर कविता-बाल दिवस पर एक शानदार कविता Children’s Day Poem
About Author
Amit Jain 'Maulik'
मैं एक कवि, लेखक एवम एंकर हूँ । 'उड़ती बात' के माध्यम से मैंने स्वरचित रचनायें आपके समक्ष प्रस्तुत करने का प्रयास किया है। आपसे विनम्र अनुरोध है कि अपनी बहुमूल्य प्रतिक्रिया एवम सुझाव अवश्य दें जिससे हम जैसे नव रचनाकारों का मनोबल बढ़े एवम उड़ती बात के स्तर में गुणात्मक अभिबृद्धि हो..