मंच संचालन स्क्रिप्ट- संगीत संध्या । Anchoring script-musical night
-नमस्कार दोस्तो, संस्कारधानी कला परिषद् द्वारा होली मिलन के सुअवसर पर आयोजित इस सुरों से गुनगुनाती हुई शाम में मैं अमित ‘मौलिक’ आज के कार्यक्रम के अतिथि गण, विशिष्ट जन एवम आप सब संगीत प्रेमियों का बहुत बहुत स्वागत करता हूँ-एहतराम करता हूँ ।
आज की इस सुरीली शाम को सुर बद्ध करने वाली हमारे शहर की जानी मानी आरकेस्ट्रा मेलोडी एंड रिदम एवं उनके सभी ख्यातनाम कलाकारों का भी स्वागत करता हूँ। आप से अनुरोध है कि एक बार जोरदार तालियां संस्कारधानी कला परिषद् के लिये बजा दे।
-ऐसी ही जोरदार तालियां एक बार हमारी आरकेस्ट्रा मेलोडी एंड रिदम के स्वागत में भी बजा दें। धन्यबाद
-दोस्तो, तमाम तरह की मानवीय प्रतिक्रियाओं में एक काबिले जिक्र प्रतिक्रिया है मुग्ध हो जाना। और मुग्धता एक रूहानी स्थिति है जो किसी भी प्रकार की रुचिकर क्रिया से उत्पन्न होती है।
हमारी रूह-हमारी आत्मा को कोई क्रिया जब लुभाती है तो हम मन्त्रमुग्ध हो जाते हैं और यह स्थिति किसी ध्यान से कम नहीं होती, ध्यान जहाँ हम स्वयं को भूल जाएं, खो जाएँ।
निःसंदेह संगीत के माध्यम से भी ईश्वर के निकट जाया जा सकता है। तो आइये आज हम इन सुरों के संसार में खो कर, मन्त्र मुग्ध हो कर स्वयं को भूलें और एक आनंद यात्रा आरम्भ करें।
-मित्रो, जैसी कि हमारी भारतीय संस्कृती की विशेषता है किसी भी सांस्कृतिक आयोजन के पहले हम श्री गणेश वंदना करते हैं। मैं मेलोडी एंड रिदम की गायिका सुश्री गीता ठाकुर से अनुरोध करता हूँ कि वो मंच पर आयें और श्री गणेश वंदना के क्रम को पूर्ण करें ।
बहुत ही सुमधुर ईश वंदना। धन्यवाद गीता जी । सारा प्रेक्षाग्रह ऊर्जामयी प्रतीत होता हुआ।
-दोस्तो, चूँकि यह एक संगीत का कार्यक्रम है अतः हम माँ सरस्वती को पुष्प अर्पण करते हुए उनके चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन करेंगे।
-मैं आज के कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री…………………….जो कि…………………..हैं, मैं उनके जादुई व्यक्तित्व को दो पंक्तियाँ अर्पित करते हुए दीप प्रज्ज्वलन के लिए मंच पर आमंत्रित करना चाहता हूँ...
बेवक़्त, बेवजह, बेहिसाब मुस्कुरा देता हूँ,
आधे दुश्मनो को तो मैं यूँ ही हरा देता हूँ।
जोरदार करतल ध्वनि हमारे शहर के गौरव के लिये।
-अब मैं आज के कार्यक्रम के अध्यक्ष श्री ……………….जो कि ………….हैं, मैं उनके विराट व्यक्तित्व को चंद पंक्तियाँ अर्पित करते हुये उन्हें दीप प्रज्ज्वलन के लिए मंच पर आमंत्रित करना चाहता हूँ कि…
ना गिनकर देता है, ना तोलकर देता है,
ईश्वर किसी किसी को, दिल खोल कर देता है।
जोरदार करतल ध्वनि हमारे अध्यक्ष जी के लिये।
-मैं संस्कार धानी कला परिषद् के पदाधिकारियों से अनुरोध करता हूँ कि वो हमारी डिगनिटीज को मंच तक ससम्मान लेकर आयें और माँ सरस्वती के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन एवं पुष्प अर्पण के इस दिव्य क्रम को पूर्ण कराने में सहायता करें।
जोरदार करतल ध्वनि से हम माँ सरस्वती जी को नमन करेंगे । धन्यबाद।
-तो मित्रो, कहते हैं कि संगीत दिलों से निकलता है और दिलों तक पहुँचता है। मसल ये हुई कि संगीत भी दिल दा मामला ही है। दिल की बात आई है तो मैं ये चार पंक्तियाँ आपको कहने से स्वयं को रोक नहीं पा रहा हूँ कि…
दिल की बेचैनी चैन पाने को कसमसाती है,
एक बार गले तो लगो इश्क़ की आहट आती है
काश तुम ज़रा सा भी ठहर जाते तो देख लेते
तड़प की ताब तो चेहरे पर नज़र आती है
-जी हां दोस्तो, आज की यह शाम उस दबी हुई कसक के नाम एक मशहूर गीत के साथ आगाज़ करते हैं। वह गीत जिसने अपने समय में करोड़ों दिलों को एक आवाज़ दी थी, एक आलंबन दिया था।
उस गीत को लिखा है -ज़नाब कमर जलाला वादी साहिब ने,
संगीत से सजाया है -कल्याण जी आनंद जी ने
और आवाज़ दी है स्वरकोकिला- लता मंगेशकर जी ने।
चित्रपट का नाम है-छलिया
गीत के बोल हैं-तेरी राहों में खड़े हैं दिल थाम के हाय हम हैं दीवाने तेरे नाम के
इस गीत को आपके सामने प्रस्तुत करने आ रहे हैं हमारी शहर की ख्यातिनाम गायिका -सुश्री दीपा वालिया जी तो लीजिये प्रस्तुत है -तेरी राहों में खड़े हैं दिल थाम के …
जोरदार तालियां इस शानदार प्रस्तुति के लिए। वैसे आप सब की तालियां ये ज़ाहिर करने के लिए पर्याप्त हैं कि मुहब्बत की कसमसाहट कंहीं ना कंहीं दिल के किसी कोने में अभी भी जिंदा है।
क़ुछ पँक्तियाँ इस कसमसाहट के नाम कहने से रोक नहीं पा रहा हूँ कि..
ये आँखें ख्वाबगाह बन गईं
तुम्हारे तसब्बुर में सोते सोते
सारा असबाब तरबतर हो गया
तेरे ख्याल में रोते रोते
हम पर तुम्हारी मुहब्बत का नशा
इस तरहा तारी है
कि हम कमजोर दिल के होते
तो दुनिया से चल दिए होते
-दोस्तो, कहते हैं कि जब दीवानगी हद से ज्यादा बढ़ती है तो हम बदल से जाते हैं । हमारे मित्र कहने लगते हैं कि भाई क्या हो गया तेरे को, आजकल बड़ा खोया खोया सा रहता है, सब खैरियत से तो है ना ? और जो लोग जान जाते हैं तो वो इश्क का मरीज़, मजनू जैसी कई उपाधियां से नवाज देते हैं।
अगले गीत की पंक्तियां भी तो यही क़ुछ कहतीं हैं..
दिल सुलगने लगा अश्क बहने लगे
जाने क्या क्या हमें लोग कहने लगे
निश्चित रूप से आप सब अगले गीत के बारे जान चुके होंगे । जी हां,
अगला गीत है-वो जब याद आये बहुत याद आये
जिसे अपनी आवाज़ से नवाजा है- रफ़ी साहिब और लता दीदी ने,
चित्रपट का नाम है -पारसमणि,
गीतकार हैं -ज़नाब असद भोपाली साहिब
और संगीतकार-लक्ष्मीकांत जी प्यारेलाल जी।
तो आइये इस युगल गीत की प्रस्तुति के लिए मैं आमंत्रित करता हूँ मेलोडी एंड रिदम के गायक श्री रूपेश रावत जी को और गायिका सुश्री सुनीता लखेरा जी को।
अद्भुत! अद्भुत! कितने अद्भुत लोग थे वो जिन्होंने ऐसी सुमधुर संगीत रचना की। रूपेश जी और सुनीता जी ने मनमोहक तरीके से इस गीत को निभाया। एक बार जोरदार तालियां इस प्रस्तुति के लिए।
-दोस्तो, कहते हैं प्यार को कभी मापा नहीं जा सकता। मुहब्बत की कोई इंतहा नहीं होती। प्यार करने वाले तो सागर की गहराइयों और आसमान की ऊंचाइयों को भी गौण करते आये हैं। दोस्तो, यह तो ज़ज़्बात की बातें हैं, ये दिल की बातें हैं, ये मुहब्बत की बातें हैं और वही समझ सकता है जिसने कभी किसी को प्यार किया हो..
अगला गीत आपको ज़ज़्बातों की उस चरम सीमा का अहसास करा देगा जिसे दीवाने मुहब्बत कहा करते हैं। तो आइये ले चलते हैं आप सभी को इस ख़ास प्रस्तुति की ओर..
गीत का नाम है-हमें तुमसे प्यार कितना ये हम नहीं जानते..
जिसे अपनी आवाज़ की कशिश दी है-श्री किशोर दा ने
संगीत से सजाया है-पंचम दा ने
जिसमें अपनी लेखनी से ज़ज़्बात उड़ेले हैं-श्री आनंद बक्शी साहिब ने और फिल्म का नाम है-कुदरत
इसे अपनी आवाज़ से सजायेंगे हमारे शहर के दूसरे किशोर साब श्री के के सिंग जी । तो आइये लुत्फ़ लें इस जादुई प्रस्तुति का।
आपकी तालियों की गड़गड़ाहट बता रही है आप गीत से सीधे जुड़े हुए थे । धन्यबाद केके सिंग जी ।
-किशोर दा का एक और गीत प्रस्तुत करने के लिए के के सिंग जी की प्रस्तुति का पुनः आग्रह आया है। मैं आप सबको निराश नहीं करूँगा, और कर भी कैसे सकता हूँ। किशोर कुमार साहिब आवाज़ की दुनिया के वो सुरीले शहंशाह थे जिन्होंने सारे ज़हान को अपनी हरफन मौला और अलमस्त अंदाज़ की गायिकी से सम्मोहित कर रखा था वल्कि मैं तो दावे के साथ कह सकता हूँ नई पीड़ी भी उनकी उतनी ही दीवानी है।
दोस्तो, जब जब भी किशोर दा की गायकी की बात आती है मुझे एक शेर अक्सर याद आ जाता है कि..
सरगम कहती है कि थम जाओ
अब वो परवाज नहीं होगी
बहुत आवाज़ें होंगी दुनिया में
मगर वो आवाज़ नहीं होगी
एक बार जोरदार तालियां हरदिल अज़ीज़ किशोर दा के लिए।
-तो चलिए दोस्तो, आपको पुनः किशोर दा की रूहानी दुनिया में ले चलते हैं और सुनवाते हैं उनका बेहतरीन नगमा जो कि फिल्म-दाग़ से है
शब्दों के जादूगर हैं-ज़नाब साहिर लुधयानवी साहिब
संगीत से सजा कर अमर किया है -श्री द्वय लक्ष्मीकांत प्यारेलाल जी ने
गाना का नाम है- मेरे दिल में आज क्या है, तू कहे तो मैं बता दूँ
और इसे आपके सामने लेकर आ रहे श्री के के सिंग साब
वाह! मुझे दिख रहा है कि आप सब मन्त्रमुग्ध हों गए थे । जी हां मित्रो यही वो स्थिति है जिसे मुग्ध हो जाना कहते हैं, खो जाना कहते हैं और यह ताकत है संगीत की जो कि यहाँ बह रहा है-बरस रहा है।
-आइये चलिए अगली प्रस्तुति में आपको एक और आवाज़ के जादूगर का गीत सुनवाते हैं वो हैं श्री मुकेश जी जिनका पूरा नाम मुकेश चंद माथुर था।
जब सारा बॉलीवुड श्री के एल सहगल जी की परिपक्व आवाज़ और गायकी के सहारे दिल की बातें को गंभीरता से ले रहा था तब मुकेश जी आये और उन्होंने अपनी मासूम निर्दोष आवाज़ से मुहब्बत के नग्मों को एक अलग मुकाम दिया ।
फिर तो मानो संगीतकारों को भी अपना हुनर दिखाने का मौका मिल गया । और तब एक से एक गीतों की ऐसी झड़ी लगी की बॉलीवुड के साथ साथ सारा ज़हान झूम उठा।
70 का दशक मुकेश साहिब का स्वर्णिम युग कहा जाता है, एक अलग ही अंदाज़ में मुकेश जी नज़र आ रहे थे। सन 1971 में एक फिल्म आई जिसके गीतों ने इतिहास बना दिया था,
फिल्म थी -आंनद
गीतकार थे : गुलज़ार साहिब ,
संगीतकार : श्री सलील चौधरी साहिब,
और गीत के बोल थे -मैंने तेरे लिए ही सात रंग के सपने चुने
तो आइये दोस्तो, आपको इस यादगार गीत में डुबा देने के लिए मंच पर आ रहें मुकेश की आवाज़ के जाने माने गायक जनाब फिरोज अंसारी जी।
तो लीजिये दोस्तो-मैंने तेरे लिए ही सात रंग के ….
जोरदार करतल ध्वनि मुकेश साहिब के लिये , इस गीत के शिल्पकारों के लिए और फिरोज साब के लिए जिन्होंने कमाल की गायिकी की है।
-हमारे मुख्य अतिथि जी की तरफ से मुकेश जी के एक और गीत का अनुरोध आया है। और जिस गीत विशेष का अनुरोध है वह गीत मुकेश जी के टॉप 10 गीतों में शुमार माना जाता है।
सन 1968 में रिलीज़ फिल्म सरस्वती चंद्र बॉलीवुड की आखिरी श्वेत श्याम-ब्लैक एंड वाइट फिल्म थी जिसमे कल्याण जी आनंद जी के संगीत ने कोहराम ही मचा दिया था। इंदीवर जी ने अपनी कलम का लोहा मनवा लिया था। एक से एक गाने इस फिल्म में थे जो कि मुकेश साहिब और लता मंगेशकर जी ने गाये थे।
फूल तुम्हें भेजा है खत में , छोड़ दे साड़ी दुनिया किसी के लिए, हमने अपना सब क़ुछ खोया प्यार तेरा पाने को, मैं तो भूल चली बाबुल का देश और अंतिम वो गाना जिसने मुकेश साहिब को आसमान की बुलंदियों पर बिठा दिया वह था चन्दन सा बदन चंचल चितवन।
तो आइये दोस्तो, इस बेमिसाल गाने का लुत्फ़ उठायें। गायक पुनः जनाब फिरोज अंसारी जी।
बेमिसाल! बेमिसाल! क्या कहने …. कितने सुन्दर लफ़्ज़ों का तिलिस्म..
ये काम कमान भँवे तेरी,
पलकों के किनारे कजरारे
माथे पर सिंदूरी सूरज,
होंठों पे दहकते अंगारे
साया भी जो तेरा पड़ जाए,
आबाद हो दिल का वीराना
वाह। एक बार जोरदार तालियाँ हमारे अंसारी साब के लिए , नियाहत ही खूबसूरती के साथ इन्होंने इस गीत को निभाया। साथ ही मेलोडी एंड रिदम के सभी प्रवीण कलाकारों के लिए भी जोरदार तालियां बनती हैं जिन्होंने हूबहू संगीत का संसार यहाँ रच दिया है। धन्यबाद
-दोस्तो, पुनः आपको किशोर दा की तरफ ले चलते हैं। उनके बारे में एक आम राय है कि वो बहुत ही चुलबुले और मज़ाकिया किस्म के व्यक्ति थे। लेकिन मैंने कहीं उनके बारे में पढ़ा है कि इसके बिलकुल उलट एक कोमल हृदय और सवेंदनशील व्यक्ति थे।
जब कोई बात उनके कोमल मन को चोट पहुँचाती थी तो वो उस बात पर मज़ाक का मुलम्मा चढ़ा देते थे । कई कई बार साफ़ साफ़ ना कह कर अजीबो गरीब हरकतें करके उस व्यक्ति को डरा देते थे जिससे वो नाराज़ होते थे। लेकिन उनके अंदर का कोमल आदमी आहत हो जाता था।
सन 1985 में तो उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री के लोगों को अवसर वादी कहकर मुम्बई छोड़ खंडवा जाने का निश्चय कर लिया था। उनके आहत मन का दर्द जानने के लिए आइये आपको सुनवाते हैं एक बहुत ही सवेंदन शील मधुर गीत..
गीत का नाम है-वो शाम कुछ अजीब थी
चित्रपट का नाम है-ख़ामोशी
गीत के बोल हैं-गुलज़ार साहिब के
संगीतकार हैं-श्री हेमंत कुमार साहिब
इसे प्रस्तुत करने आ रहे हैं श्री के के सींग जी..
सचमुच ही क्या कैफ़ियत थी उनकी आवाज़ में । जोरदार तालियां दोस्तो इस मोहक प्रस्तुति के लिए।
-दोस्तो, सुना है कि मुहब्बत में ऐसा मुकाम भी आता है कि हम ना तो हाले दिल किसी को बयां कर सकते हैं न ही हम छिपा सकते हैं। ऐसे हालात का मुकम्मल तब्सिरा करतीं ये पंक्तियाँ कि..
पूछे कोई के दिल को कहाँ छोड़ आये हैं
किस किस से अपना रिश्ता-ए-जां तोड़ आये हैं
मुश्किल हो अर्जे हाल तो हम क्या ज़बाब दें
तुमको ना हो ख़्याल तो हम क्या ज़बाब दें
जी हाँ दोस्तो ये पंक्तियां उस गीत की हैं जो कि हमारी अगली प्रस्तुति में आपके सामने आने वाला है।
इस गीत को लिखा है -ज़नाब साहिर लुधयानवी साहिब
संगीत से सजाया है-श्री रोशन साब ने
फिल्म का नाम है-बहु बेगम
इसे गाया है-लता मंगेशकर जी ने
और गीत तो आप समझ गए होंगे, जी हां-दुनिया करे सवाल तो हम क्या जबाब दें।
इस गीत को प्रस्तुत करने आपके सामने आ रही हैं सुश्री गीता ठाकुर जी । तो आइये इस गीत का लुत्फ़ उठायें…
शानदार प्रस्तुति। इस प्रस्तुति के लिए इतना ही कह सकता हूँ कि..
फलक से गुनगुनाती हुईं आईं हैं क़ुछ बूंदें
लगता है कोई बदली किसी पायजेब से टकराई है।
जोरदार तालियां गीता ठाकुर जी के लिए।
-लता जी के एक और गीत की गुजारिश आई है। बहुत ही प्यारा सुमधुर गीत है। मैं आपसे इस गीत के दो ख़ास पंक्तियाँ का ज़िक्र ज़रूर करना चाहूंगा जो की मुझे बहुत ही लुभाती हैं..
हमने यही इक बार किया था,
इक परदेशी से प्यार किया था
ऐसे जला ये दिल जैसे परवाना,
परदेशियों से ना अंखियां मिलाना
जी हां गीत के बोल हैं परदेशियों से ना अंखियां मिलाना
इसके गीतकार हैं-श्री आनंद बक्सी साहिब,
संगीतकार-लक्ष्मीकांत प्यारेलाल जी हैं
और चित्रपट का नाम है-जब जब फूल खिले
और इसे लेकर आपके सामने पुनः आ रहीं हैं सुश्री गीता ठाकुर।
सुन्दर प्रस्तुति। वाह-वाह! क्या बात है।
-दोस्तो, किसी शायर ने क्या खूब कहा है कि ….
अगर मिल जाती मुझे दो दिन की बादशाही
संगदिल मेरी रियासत मे तेरी तस्वीर के सिक्के होते
जी हां दोस्तो, मुहब्बत में जब दीवानगी हद से आगे गुजर जाती है तो प्रेमियों का अंदाज़े बयां मुखर हो जाता है। ज़माने की कोई परवाह नहीं रहती। सीमाओं की चिंता नहीं रहती। और जब ऐसी दीवानगी की मिसाल हम ढूंढने जाते हैं तो एक नगमा, एक ऐसा ऐतिहासिक गाना, एक ऐसी सरल सहज कम्पोजिंग जिसने आज भी होली विशेष के गानों में सर्वोच्च स्थान बना के रखा हुआ है, बरबस ही याद आ जाती है।
आज होली मिलन के इस आयोजन का समापन इस गीत के बिना अर्थहीन हो जाएगा।
तो आइये सुनते वह गाना जो एक मिसाल है
फिल्म का नाम है-सिलसिला
संगीत दिया है-शिव-हरी जी ने
गीत के बोल हैं-रंग बरसे भीगे चुनर वाली
गायक तो सब जानते होंगे-श्री अमिताभ बच्चन जी
गीत किसने लिखा है शायद ये बात बहुत कम लोग जानते होंगे। आप कहेंगे कि ऐसी क्या राज की बात है इसमें। जी बिलकुल है, और चलिये आपको वो राज की बात बता देते हैं। तो श्रोताओ इस गीत को लिखा है महानायक श्री अमिताभ बच्चन साहेब के पिताजी कविवर श्री हरिवंश राय जी बच्चन जी ने।
है ना कमाल । तभी तो इस गीत ने आज तक धमाल मचाया हुआ है। तो चलिए सुनते हैं यह आखिरी शानदार प्रस्तुति जिसे आप के सामने लेकर आ रहे हैं मेलोडी एंड रिदम के डायरेक्टर गायक श्री मुकुल धवन जी ।
तो चलिए सुनते हैं रंग बरसे….
बहुत ही धमाकेदार प्रस्तुति। जोरदार तालियां दोस्तो।
निश्चित रूप से संस्कार धानी कला परिषद् के हम सब बहुत बहुत आभारी हैं जिन्होंने ऐसे मधुर गीत संगीत का जादुई संसार यहाँ रचा।
हम उनको धन्यबाद प्रेषित करते हुए उनसे विनम्र आग्रह करते हैं कि वो इस पुनीत सिलसिले को अनवरत जारी रखें। उनके लिए एकबार जोरदार तालियां ।
साथ ही हम आरकेस्ट्रा मेलोडी और रिदम के गायक कलाकार एवं वादक कलाकारों को बधाइयाँ प्रेषित करते हैं कि उन्होंने अपनी सांगीतिक निपुणता से इस कार्यक्रम को सफल से सफलतम की श्रेणी में पहुँचाया।
सभी संगीत के जानकार और सुधीजनों को भी बहुत बहुत धन्यबाद। निश्चित रूप से एक कार्यक्रम तभी सफल और सार्थक होता है जब आप जैसे संगीत रसिक और संगीत विज्ञ लोग श्रोताओं के रूप में मिलते हैं। आप सभी को बहुत बहुत धन्यबाद।
sir i want anchoring script in Hindi for annual day function in school.
points are
welcome of the chief guest, lighting of lamp,Ganesha vandana, welcome dance, alphabetical song, swatch Bharat play,qwali, patriotic act and many more.
Resp/अंजलि जी,
एक संचालन स्क्रिप्ट लिखने के लिए कई तथ्यों-जानकारियों की आवश्यकता होती है जैसे:-
1) आपका एनुअल फंक्शन कब है, मतलब कि कितना समय शेष है।
2) श्रोता/दर्शक किस आयुवर्ग के हैं , I mean for which category of audience need to be focuse.
3) कितने अतिथि हैं
4) कार्यक्रम का समय क्या है
5) कार्यक्रम का आरंभ एवम समापन समय क्या है
6)संचालन कौन करेगा
7) कितनी प्रस्तुतीं हैं
8) अतिथि स्वागत क्रम क्या हैं
ऐसी अन्य भी बहुत सारी अनिवार्य जानकारियों की आवश्यकता पड़ती है।
आपसे अनुरोध है कि आप हमारा निम्न पोस्ट अवश्य पढ़ें ।
मंच संचालन करने के 10 महत्वपूर्ण नियम
http://udtibaat.com/मंच-संचालन-करने-के-10-महत्वप/
साथ ही स्क्रिप्ट notes के लिए पढ़ें
मंच संचालन स्क्रिप्ट
http://udtibaat.com/मंच-संचालन-स्क्र…ipt-in-hindi-fon/
इससे आपको स्क्रिप्ट तैयार करने में मदद मिलेगी। साथ ही गणेश बंदना,सरस्वती वंदना, स्वागत गीत, सञ्चालन शायरी, अतिथि शायरी, ताली शायरी, आभार शायरी आदि के पोस्ट भी आप अवश्य पढ़ें जिससे आप एक बढ़िया स्क्रिप्ट तैयार कर सकतीं हैं।
अन्य किसी जिज्ञासा के लिए कृपया आप मुझे मेरे mail address पर संपर्क करें-
[email protected]
उड़ती बात पर visit करने के एवम प्रतिसाद देने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद-आभार।
हेल्लो सर
मै मुझे सार्वजनिक कार्यक्रम जैसे(गणेश उत्सव,नवरात्रि,होली, जन्मदिन ,opninig etc) कार्यकमो के मंच संचालन के लिए कुछ अच्छा बताइये।
राहुल जी होली पर तो स्क्रिप्ट उड़ती बात पर उपलब्ध है। आप कार्यक्रम का एजेंडा पूर्ण विवरण देंगे तो प्रयास कर सकता हूँ। बहुत बहुत धन्यवाद मित्र
आपने एक कठिन प्रश्न हल कर दिया।
संचालन स्क्रिप्ट देने के लिए आपका दिल से धन्यवाद
बहुत शुक्रिया शिवजी। उड़ती बात के साथ बने रहें
Hi sir , मेरे को फूटबाल प्रतियोगिता के समापन समारोह के लिए मंच संचालन करना है ।३ फरवरी को ,समाजसेवी, स्कूल डायरेक्टर गेस्ट रहेंगे।
Hello I want naming ceremony programme script for sis in law jalwa poojan function hai….. Plzzzz reply
Dr.Priya, इतने जल्दी स्क्रिप्ट लिखना सम्भव नहीं होता। आजकल थोड़ा मसरूफियत के कारण लिखना कम हो रहा। क्षमा करें
Sir mujhe saraswati puja ke sanchalan ke liye anchoring script chahiye maira first time as a anchor
Superb script…👏👏