रोमांटिक शायरी ‘रानी नहीं मिलती’। Romantik Shayri ‘Rani nahi milti’

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तेरे अलावा मेरा कौन कहाँ जायेंगे 
दिमाग से चलेंगे दिल से लौट आयेंगे 
मुहब्बतों की कसम है तुम्हें हबीब मेरे 
जो रूठ जाऊँ मना लेना मान जायेंगे
तुम उगा तो लिये सूरज वो दिन बनेंगे नहीँ 
खुदा से नूर मंगा लो ये गुल खिलेंगे नहीँ 
तसल्लीयों से हवा में उड़ान भरते रहो 
अब अगर ढूँढ़ने जाओगे हम मिलेंगे नहीँ

 

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नमी तो सूख जायेगी निशां कैसे मिटाओगे 
शमा जो जल गई दिल में उसे कैसे बुझाओगे
नदी बेशक बनो मर्जी बहानों से गुजर लेना 
समंदर हूँ-रहूंगा मुझमें आकर ही समाओगे
चमन गुलज़ार हो ऐसी रवानी अब नहीँ मिलती 
प्रेम किससे करें मीरा दीवानी अब नहीँ मिलती 
कँहा से आयेंगे मौसम बहारों के-गुलालों के 
यहाँ युवराज हैं ढेरों मगर रानी नहीँ मिलती
मदहोशी के घूंट लगाकर एक मधुशाला लिखते 
खुशी को खुशी फूल को खुश्बू देते दिलवाला लिखते 
तंज़ तुम्हारे सह ना पाये रंजो में हम डूब गये 
वरना पीर मलन्गे होते खुद को मतवाला लिखते 
बात ये छिप ना सकी गुलिश्तां में आम हो गई 
बाद मुद्दत ही सही खुशनुमा शाम हो गई 
कायनात में खुशी ढूंढ़ती रही दुनिया सारी 
ओह! सब की सब मेरे मेहबूब के नाम हो गई 
ज़माने के सितम सारे अलम जुल्मात कह दूँगा 
जो ख्वाबों में ना कह पाया वो हर जज्बात कह दूँगा 
उदासी का बड़ा सैलाब है मौलिक निगाहों में 
आओ कभी पूछो तुम्हें हर बात कह दूँगा 
होंठ सजीले मौन हो गये गीत कँहा से आयें 
हम अपने थे-कौन हो गये सेहरा कँहा छिपायेंगे 
बादल फटा कहर जब टूटा दिन उगने तक भीगे हम 
धूप खिली तो मोम हो गये बूँद बूँद बह जायेंगे
उकसा मत हम अपनी पर आये तो शराफ़त छोड़ देंगें
नूर तू जिस दिन भी हाथ लगा तबियत से निचोड़ देंगें
जो मग़रूर हैं बहारों पर उनको कोई जाकर कह दे
हम ज़लज़ले हैं जिस दिन आ गए सारे भरम तोड़ देंगें

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