Tag: Romantik kavita

कविता-क्षोभ/kavita-chhobh

  उदारमना, तुम्हें क्षोभ किस बात का मैं तो निर्जन में पनपा एक दुर्बल तनका पौधा हूँ  जो कभी बड़ा ही नहीँ हुआ अभी ढंग से खड़ा भी नहीँ हुआ सदा निराशा में बिंधा चंद टहनियों की जवाबदारियों में बंधा राह तकता हुआ किसी अन्जाम की किसी परिणाम की, यकबयक तुम्हारे प्रकाट्य से जीवन में ढंग आ गया

कविता-मैंने कब कहा/Kavita-Maine kab kaha

मैंने कब कहा  तुम मेहनत से मिले हो  तुम तो अप्रतिम गुलाब हो  ह्रदय की बंजर भूमि पर  नैमत से खिले हो  इसमें बेईमानी क्यों लगती है  तुम्हें गलत बयानी क्यों लगती है  तुम तो सौभाग्य हो  तुम शुभ संयोग हो  अच्छे अच्छे ग्रहों के  तुम मिलन का योग हो  मेरे निकट आये तुम  सचमुच बड़े

कविता दोहे-हमजोली/kavita dohe-hamjoli

बूढ़ा पेड़ कनेर का,  पनघट के था पास रोज़ सबेरे मिलन की, करते थे हम आस   मुट्ठी भर के दूब ली, फूल चमेली तीन भेंट में दे के हो गये, बातों में तल्लीन   लोहडी का मेला गये, मंगल का बाजार काका जी की गोलियाँ, भूल गये हो यार   इमली पत्थर पीस के, चटखारे छै सात