वेलेंटाइन शायरी – दोस्तों, प्रेम का स्वरूप बहुत विराट होता है। ईश्वर, बहन, भाई, पत्नी, माँ, बेटी, पिता, गुरु और वल्कि बृहद रूप में देखा जाये तो पूरी कायनात से प्रेम किया जा सकता है। वेलेंटाइन डे जिसे प्रेम दिवस कहते हैं को स्वस्थ रूप में जाना पहचाना जाये-मनाया जाए तो इससे बेहतर कोई उत्सव
साभार pixabay. com मीठे मीठे शहद सा, मीठा मीठा यार ना जाने कब हो गया, मीठा मीठा प्यार। बात बात में लड़ गये, नैनन से यह नैन झलकत है नैनन वही, सूरतिया दिन रैन। नैनन नैन समाये ना, नैन नैन खो जाय मौन मौन के बीच ही, बातें होतीं जाय। उँगली उँगली मिल गई, अंगुल
-चित्र साभार गूगल से- हाइकु जापानी काव्य विधा का एक छंद है जिसे आजकल बहुतायत में लिखा जा रहा है। हिंदी काव्य में हाइकु का प्रयोग एक अभिनव प्रयोग है और बहुचर्चित कवियों ने अपने काव्य लेखन में इस छंद को स्थान दिया है। केवल तीन पंक्तियों के छंद हाइकु में प्रथम पंक्ति में
जो पूरे होते हैं, वही अधूरे होते हैं। सुनो, तुम सुरमें का टीका भी लगाया करो। हुस्न वालों को ख़ुद की नज़र भी लग जाया करती है।। ये जो तुम जरा-जरा सी बात पर सोचने लग जाते हो हैरत है कि तुमने मोहब्बत करने की हिम्मत कैसे कर ली। तुम अपने काम से काम क्यों
तकलीफें सहन है साहेब बस कोई अपना न दे। ख़ुद को तुझमें मिला लिया है तुझसे मिलना छोड़ दिया अब। मेरे मेहबूब तेरी रहमतें देख मेरी आँख भर भर आती है हमारी गुज़ारिशें कम न हुईं तुम्हारी नवाज़िशें कम न हुईं। ये भी पढें-रोमांटिक शायरी ‘इश्क़ की आहट’ ये भी पढ़ें-प्यार में होने की
दिलों में बवाल होंठों पर सवाल रक्खो ज़माना टेढ़ा है तुम भी टेढ़ी चाल रक्खो आखिरी हिचकी है बाक़ी तू अभी रहने दे आखिरी दांव लगायेंगे लगाने वाले पूछ कर हाल बतायेंगे ज़माने भर को ये तमाशा भी बनायेंगे बनाने वाले हमने सूरज भी बनाया है जलाया बरसों वो चिरागों को हैं खैरात
दुआयें तुम को ढूँडेंगी अगर इंसाफ तुम कर दो मै कह दूँगा जो दिल में है अगरचे माफ तुम कर दो समंदर को सुधा करके तुम्हें सौगात में दूँ जो चाहत में तुम्हारा हाथ मेरे हाथ पर रख दो कभी मेला कभी महफिल कभी संसार कर लेना अगर तन्हाई ज्यादा हो तो चिठ्ठी तार
तेरे अलावा मेरा कौन कहाँ जायेंगे दिमाग से चलेंगे दिल से लौट आयेंगे मुहब्बतों की कसम है तुम्हें हबीब मेरे जो रूठ जाऊँ मना लेना मान जायेंगे तुम उगा तो लिये सूरज वो दिन बनेंगे नहीँ खुदा से नूर मंगा लो ये गुल खिलेंगे नहीँ तसल्लीयों से हवा में उड़ान भरते रहो अब अगर ढूँढ़ने