रोमांटिक शायरी – प्यार मोहब्बत एवं रोमांटिक शायरी का बहुत ही प्यारा कलेक्शन संजोये यह वीडियो आपको मीठे-मीठे अहसास से तरबतर कर देगा। यह मेरा नया वेंचर है। मैंने मौलिक मंच के नाम से एक youtube channel आरम्भ किया है। इस वीडियो में मैंने अपनी शायरी को अपनी आवाज़ में स्वरबद्ध किया है। आशा है
वेलेंटाइन शायरी – दोस्तों, प्रेम का स्वरूप बहुत विराट होता है। ईश्वर, बहन, भाई, पत्नी, माँ, बेटी, पिता, गुरु और वल्कि बृहद रूप में देखा जाये तो पूरी कायनात से प्रेम किया जा सकता है। वेलेंटाइन डे जिसे प्रेम दिवस कहते हैं को स्वस्थ रूप में जाना पहचाना जाये-मनाया जाए तो इससे बेहतर कोई उत्सव
साभार pixabay. com मीठे मीठे शहद सा, मीठा मीठा यार ना जाने कब हो गया, मीठा मीठा प्यार। बात बात में लड़ गये, नैनन से यह नैन झलकत है नैनन वही, सूरतिया दिन रैन। नैनन नैन समाये ना, नैन नैन खो जाय मौन मौन के बीच ही, बातें होतीं जाय। उँगली उँगली मिल गई, अंगुल
-चित्र साभार गूगल से- हाइकु जापानी काव्य विधा का एक छंद है जिसे आजकल बहुतायत में लिखा जा रहा है। हिंदी काव्य में हाइकु का प्रयोग एक अभिनव प्रयोग है और बहुचर्चित कवियों ने अपने काव्य लेखन में इस छंद को स्थान दिया है। केवल तीन पंक्तियों के छंद हाइकु में प्रथम पंक्ति में
जो पूरे होते हैं, वही अधूरे होते हैं। सुनो, तुम सुरमें का टीका भी लगाया करो। हुस्न वालों को ख़ुद की नज़र भी लग जाया करती है।। ये जो तुम जरा-जरा सी बात पर सोचने लग जाते हो हैरत है कि तुमने मोहब्बत करने की हिम्मत कैसे कर ली। तुम अपने काम से काम क्यों
Love shayri in hindi font । love shayri for girlfriend क्यों महकती सुबह, मदभरी शाम है क्यों मेरी सांस पर, अब तेरा नाम है। इक ख़ुमारी यहाँ से, वहाँ तरबतर मैं परेशान हूँ, तू परेशान है। ये ज़मीं आ गई, आसमाँ आ गया चुप्पियाँ कह उठीं, शोर सा छा गया। बेखबर हो
दिलों में बवाल होंठों पर सवाल रक्खो ज़माना टेढ़ा है तुम भी टेढ़ी चाल रक्खो आखिरी हिचकी है बाक़ी तू अभी रहने दे आखिरी दांव लगायेंगे लगाने वाले पूछ कर हाल बतायेंगे ज़माने भर को ये तमाशा भी बनायेंगे बनाने वाले हमने सूरज भी बनाया है जलाया बरसों वो चिरागों को हैं खैरात
ये आँखें ख्वाबगाह बन गईं तुम्हारे तसब्बुर में सोते सोते सारा असबाब तरबतर हो गया है तेरे ख्याल में रोते रोते हम पर तुम्हारी मुहब्बत का नशा इस तरहा तारी है कि हम कमजोर दिल के होते तो दुनिया से चल दिए होते फर्क है बात मे सच भी है झूठ है सुर्ख सूरज हुआ
बूढ़ा पेड़ कनेर का, पनघट के था पास रोज़ सबेरे मिलन की, करते थे हम आस मुट्ठी भर के दूब ली, फूल चमेली तीन भेंट में दे के हो गये, बातों में तल्लीन लोहडी का मेला गये, मंगल का बाजार काका जी की गोलियाँ, भूल गये हो यार इमली पत्थर पीस के, चटखारे छै सात