स्वर्ण आभूषण के व्यापार की लांचिंग का आमंत्रण स्नेही स्वजन, सदियों से ही समूचे भारत वर्ष में मानवीय कलात्मकता एवम रचनात्मकता से सृजित सौंदर्य को प्रतिपादित करने में स्वर्ण आभूषण मुख्य आलम्बन रहे हैं। स्वर्ण आभूषण एक कारोबार महज नहीँ है। यह तो वह खूबसूरत उपक्रम है जो मानवीय सौंदर्य को एक ऐसा
ग्रीन क्लब के सपनों का, सम्मान नहीं बदलेगा कार्यकारिणी बदलेगी, कमाल नहीं बदलेगा स्नेही स्वजन , आप सही अनुमान लगा रहें हैं यह आमंत्रण पत्र नई कार्यकारिणी के शपथ ग्रहण समारोह के बारे में है हम सब………………………………के सदस्य एक नये रुप में दिखती हुई, उत्साही, सौम्य, महत्वाकांक्षी एवम रचनात्मक कार्यकारिणी के शपथ ग्रहण समारोह के
सुधा शची सुलोचना शशी सिया सुशोभना विष बार बार ना पियो मन मार मार ना जियो मनुहार में ना डूबना बन नीर बेग फूटना सुकुमार नार बज्र सी कड़ी रहो अड़ी रहो सदा सम्मानीय मातृ शक्ति, जब-जब धरा पर कोई विपत्ति आई तब-तब भारतीय नारी ने अपनी निर्णायक भूमिका से चाहे वो प्रत्यक्ष
चलो नई मिसाल हो,जलो नई मशाल हो, बढो़ नया कमाल हो, झुको नही, रूको नही, बढ़े चलो, बढ़े चलो. .बढ़े चलो, बढ़े चलो.. प्रिय सदस्य गण, एक गौरवशाली जीवन जीने के लिये मनुष्य हमेशा ही स्वाभाविक रुप से श्रेष्ठता और सम्मान को अर्जित करने का प्रयास करता है जिससे विशिष्टता का अहसास होता है और
क्लब या संस्था के सामूहिक दीपावली आयोजन की सूचना नन्हे नन्हे दीप जले हैं नाची दीप शिखा, अन्धकार को दूर भगाता उनका दिव्य उजास फुलझड़ियों की थिरकन बिखरा प्यारा एक अनार एक हो जाते गले लगाते आते अपने पास प्रियजनों, इस स्वर्णिम पर्व पर जब स्नेह भरे ह्रदय मिलते हैं
फलक से गुनगुनाती आईं हैं कुछ बूँदें लगता है कोई बदली किसी पायजेब से टकराई है कम्पनी के उत्पाद लांचिंग का आमंत्रण स्नेही स्वजन, सौंदर्य बोध से भरी गुनगुनाती हुईं बूँदें मानव मन को सदा ही आकर्षित करतीं आईं हैं। यह सच है कि सौंदर्य की परिधि अपरिमित है। अपरिभाषित है। लेकिन मानवीय कलात्मकता एवम
स्नेही स्वजन, खुशी एक शब्द मात्र नहीँ है। और इसे शब्दों में बयान करना आसान भी नहीँ। हमने प्रण किया है एक ऐसी रिश्तों की दुनिया बनाने का जहाँ दिलों को मीठा करने वाली, सौगातें भरने वाली नेमतों की श्रृंखला तो आरम्भ होती है लेकिन यह सुखद यात्रा अंतहीन हो जाती है। आपकी विश्वशनीय
Draft-A स्नेहिल स्वजनों, आज पुनः यह कहते हुए प्रसन्नता हो रही है कि हमारे बार्षिक कार्यक्रमो का एक बड़ा आयोजन…………………….का कार्यक्रम सफलता का एक बड़ा इतिहास बनाते हुए सम्पन्न हो गया है। कितनी भी ऊहापोह रही परन्तु मुझे अपने ग्रुप के कर्मठ पदाधिकारियों, कार्यकारिणी एवम प्रतिबध्दत कार्यकर्ताओ पर कभी भी संदेह
स्नेहिल सदस्यगण, आज मुझे बहुत प्रसन्नता हो रही कि हमारी संस्था…………………..का बड़ा आयोजन प्रतिवर्ष एक सामूहिक बड़ी यात्रा का आज सुखद समापन हो गया है। पूर्व नियोजित योजना, एक अप्रतिम स्थान का चयन, एक बड़ा होमवर्क, विशिष्ट पूर्व तैयारियाँ एवम सभी गणमान्य दम्पति सदस्यों की सुविधा एवम सुगमता का ध्यान रखना ऐसे विभिन्न प्रकार
कबीरा ते नर अंध है, गुरु को कहते और हरि रूठे गुरु ठौर है, गुरु रूठे नही ठौर प्रिय स्वजन, यह सर्व विदित है कि वेदों एवम सनातन धर्म के अनुसार भारतवर्ष की प्रथम एवम प्राकृत भाषा संस्कृत थी जिसे देवोपुनीत भाषा भी कहा जाता है. संस्कृत से ही सुसंस्कृत शब्द की