‘मन की बात’ सत्य हो जाये, ऐसा इक परिवेश बने नेता जब नंबर वन अपना, देश भी नंबर एक बने यही है मौका आंगे आओ, मिल जुल ऐसा काम करो विश्व गुरु कहलाने वाला, फिर से भारत देश बने चाहे जितना भी तप कर लो, शिव संभू क्या कर लेंगे किया धरा सब अपनों का
बेईमानों ने तुरही फूकीं, मिल करके हुड़ दंग करो ज़हर फ़िज़ाओं में घुलवा दो, आओ भारत बंद करो गीदड़ चंद इकठ्ठे होकर, हुआ हुआ चिल्लाते हैं शेर बड़ा भारी है इसका, हुक्का पानी बंद करो। जनता खूब समझती है ये, किस प्रकार की बेचैनी नोटों की माला टूटी है, पीर घाव की है पैनी हाथी
नोट बंद क्या हुए देश में राम राज्य सा आया जी मज़ा आ रहा, मज़ा आ रहा, मज़ा आ रहा भैया जी। हैं अवाक से देश के दुश्मन उग्रवाद के ठेकेदार सौ सुनार की एक लुहारी खूब करारी है ये मार कालेधन की शह पाकर के आतंकी गुर्राते थे नकली नोट छापने वाले हमको आँख
इक झटके में ठन ठन बाबा, हमको आज बना डाला बहुत हो उत्पाती मोदी जी, हाय राम क्या कर डाला। रह रह कांप रहा है सीना, प्राण हलक में आता है छप्पन इंची छाती लेकर, ऐसे कोई डराता है। ये कैसी है साफ़ सफाई, कैसा स्वच्छता का अभियान गुड़ को गोबर बना दिया है,
झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई पर कविता – तो आपने पहले भी पढ़ी होगी, कई रचनाकारों की कवितायें पढ़ीं होंगी लेकिन यह कविता झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई पर कविता महज़ एक कविता नहीं हैं उनका पूरा जीवन वृतांत है, उनकी लौहमर्षक महागाथा है। अगर आप यह झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई पर कविता पूरी पढ़ लेंगें तो मेरा दावा है कि आपकी
शेरों सी हुंकार हुई है, तब जा के जयकार हुई दुश्मन को जब जब ललकारा, तब तब उसकी हार हुई अब ना कोई रोशनी चाहिये अब तो सूरज ले लेंगे लहरों से भिड़ जायेंगे हम अंगारों से खेलेंगे थर-थर कापेंगा अब दुश्मन ली हमने अंगड़ाई है गला काट देंगे हम छल का सच की