मंच संचालन स्क्रिप्ट- संगीत संध्या । Anchoring script-musical night

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-मैं संस्कार धानी कला परिषद् के पदाधिकारियों से अनुरोध करता हूँ कि वो हमारी डिगनिटीज को मंच तक ससम्मान लेकर आयें और माँ सरस्वती के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन एवं पुष्प अर्पण के इस दिव्य क्रम को पूर्ण कराने में सहायता करें।

जोरदार करतल ध्वनि से हम माँ सरस्वती जी को नमन करेंगे । धन्यबाद।

-तो मित्रो, कहते हैं कि संगीत दिलों से निकलता है और दिलों तक पहुँचता है। मसल ये हुई कि संगीत भी दिल दा मामला ही है। दिल की बात आई है तो मैं ये चार पंक्तियाँ आपको कहने से स्वयं को रोक नहीं पा रहा हूँ कि…

 

दिल की बेचैनी चैन पाने को कसमसाती है,
एक बार गले तो लगो इश्क़ की आहट आती है
काश तुम ज़रा सा भी ठहर जाते तो देख लेते
तड़प की ताब तो चेहरे पर नज़र आती है 

-जी हां दोस्तो, आज की यह शाम उस दबी हुई कसक के नाम एक मशहूर गीत के साथ आगाज़ करते हैं। वह गीत जिसने अपने समय में करोड़ों दिलों को एक आवाज़ दी थी, एक आलंबन दिया था। 

उस गीत को लिखा है -ज़नाब कमर जलाला वादी साहिब ने, 

संगीत से सजाया है -कल्याण जी आनंद जी ने 

और आवाज़ दी है स्वरकोकिला- लता मंगेशकर जी ने।
चित्रपट का नाम है-छलिया
गीत के बोल हैं-तेरी राहों में खड़े हैं दिल थाम के हाय हम हैं दीवाने तेरे नाम के

इस गीत को आपके सामने प्रस्तुत करने आ रहे हैं हमारी शहर की ख्यातिनाम गायिका -सुश्री दीपा वालिया जी तो लीजिये प्रस्तुत है -तेरी राहों में खड़े हैं दिल थाम के …

जोरदार तालियां इस शानदार प्रस्तुति के लिए। वैसे आप सब की तालियां ये ज़ाहिर करने के लिए पर्याप्त हैं कि मुहब्बत की कसमसाहट कंहीं ना कंहीं दिल के किसी कोने में अभी भी जिंदा है।

क़ुछ पँक्तियाँ इस कसमसाहट के नाम कहने से रोक नहीं पा रहा हूँ कि.. 

 

ये आँखें ख्वाबगाह बन गईं
तुम्हारे तसब्बुर में सोते सोते
सारा असबाब तरबतर हो गया
तेरे ख्याल में रोते रोते
हम पर तुम्हारी मुहब्बत का नशा
इस तरहा तारी है
कि हम कमजोर दिल के होते
तो दुनिया से चल दिए होते 

 

-दोस्तो, कहते हैं कि जब दीवानगी हद से ज्यादा बढ़ती है तो हम बदल से जाते हैं । हमारे मित्र कहने लगते हैं कि भाई क्या हो गया तेरे को, आजकल बड़ा खोया खोया सा रहता है, सब खैरियत से तो है ना ? और जो लोग जान जाते हैं तो वो इश्क का मरीज़, मजनू जैसी कई उपाधियां से नवाज देते हैं।

अगले गीत की पंक्तियां भी तो यही क़ुछ कहतीं हैं..

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