एंकर कैसे बनें – एक अच्छा एंकर बनने के लिये क्या करें । एंकरिंग की शुरुआत कैसे करें। एंकर बनने के 9 नियम । 9 Tips to become an Anchor

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एंकर कैसे बनें – मुझसे अक़्सर कई सारे पाठक गण पूँछते हैं कि क्या मैं भी एंकर बन सकता हूँ या मैं एंकर कैसे बन सकता हूँ अथवा मैं एक अच्छा एंकर बनना चाहता हूँ क्या करूँ ? मैंने यह आर्टीकल एंकर कैसे बनें How to become an anchor स्पेशली अपने उन्हीं पाठकों के लिये लिखा है।

मैंने Besics of Anchoring बताने के लिये 2 आर्टीकल पहले भी लिखे थे जो कि काफ़ी पसंद किये गये। वो आर्टीकल हैं एंकरिंग करने के 10 नियम और तात्कालिक एंकरिंग करने के 10 नियम लेकिन ये आर्टीकल, पहले से मिले हुये असाइनमेंट की तैयारी कैसे करें और एक एंकर होने के नाते अचानक ऑफर किये गये असाइनमेंट को कैसे करें के बारे में थे।

एक क़िताब जो कि एक ebook है, भी मैंने एंकरिंग के विषय पर लिखी है जिसका टाइटल है ‘एकरिंग का सुपरस्टार जो कि Amazon Kindle पर प्रकाशित है भी काफ़ी चर्चा में है। एंकरिंग करने में गंभीर पाठक इस क़िताब की मदद से सफलतापूर्वक एंकरिंग कर सकते हैं। मुझे काफी संख्या में पाठकों के पत्र प्राप्त हुये कि इस किताब की मदद से वो एक बेहतर एंकर बन पाये हैं।

आज का यह आर्टीकल एंकर कैसे बनें मैंने एंकरिंग में रुचि रखने वाले या एंकरिंग के क्षेत्र में प्रवेश करने वाले पाठकों के लिये लिखा है। इस लेख के माध्यम से मैं बताने वाला हूँ कि अगर आप भी मंच संचालक बनना चाहते हैं तो आपकी प्रारंभिक तैयारी क्या होनी चाहिए और शुरुआती कदम क्या होने चाहिये। तो आइये शुरू करते हैं –

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एंकर कैसे बनें

वो जो किसी की सुनने को तैयार नहीं। जब उनसे कहा गया, आप ही बोलें खड़े होकर, तो बोलने को तैयार नहीं!

-अमित ‘मौलिक’

दोस्तो, यह तो आप भी अच्छे से जानते होंगें कि इंसान की सबसे बड़ी समस्या बात करना नहीं, मौन रहना है। इसको थोड़ा और समझें तो humen being चुप रहना बहुत कठिन होता है, बोलना बहुत सरल। तो एक बात तो यहाँ स्पष्ट है कि बोलना आसान है। फिर क्या समस्या है? माइक पर भी तो बोलना ही है? यह इतना आसान क्यों नहीं होता? क्योंकि ऐसा हमारा perception है। ऐसी हमारी मान्यता है। हम सोचते हैं कि ये हर किसी के बस की बात नहीं।

इसका मतलब की अगर संभव होता तो ज़रूर करते। और किसको अच्छा नहीं लगता सैकड़ों-हज़ारों की भीड़ को संबोधित करना। किसको अच्छा नहीं लगता एक ऊँचे भव्य मंच पर खड़े होकर शानदार ड्रेस पहने हुये आत्मविश्वास से भरी आवाज़ में खचाखच भरी audience को एड्रेस करना, उनकी निगाहों का मरकज़ बनना। फिर समस्या क्या है?

सबसे बड़ी रुकावट है हमारा low confidence । आत्मविश्वास की कमीं। असफ़ल होने का डर। जग हंसाई का भय। और यह एक साधारण बात है। जी हाँ, अगर आपको भी ऐसा लगता है तो आप भी हम सभी मंच संचालकों की तरह हैं क्योंकि हमें तो आज भी लगता है। और लगना भी चाहिये तभी तो हम चौकस रहेंगें। तभी तो हम होमवर्क करेंगें। तभी तो हम materialized होंगें। तो यह एक साधारण बात है। Humen being मंच पर जाने में थोड़ी सी nervousness तो होती है, हर किसी को होती है। बड़े-बड़े एंकरों, बड़े-बड़े वक्ताओं को होती है।

फिर अंतर क्या हुआ, ख़ास क्या हुआ? अंतर इस बात का है कि प्रशिक्षित एवम अनुभवी प्रस्तोता शुरुआती भय को 2-4 मिनिट में ही जीतकर अपनी लय पा लेता है। और ऐसा इसलिए होता है क्योंकि उसे experience होता है। नये लोगों का भय अलग तरह का होता है। अनुभव के अभाव में, एक success story न होने के कारण अपने ऊपर विश्वास नहीं बन पाता। जहाँ आपने एक assignment पूरा किया वहीं आपके अवचेतन मस्तिष्क Sub conscious mind की प्रोग्रामिंग हुई। और आपका भय निकल जाता है।

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बहुत बेहतर होना, बहुत कमाल होना, बहुत दक्ष होना यह वैयक्तिक क्षमता पर निर्भर करता है। ज्यादा बेहतर या कम बेहतर हुआ जा सकता है, होते भी हैं लेकिन यह कोई challenge नहीं है। करते करते काफ़ी बेहतर हुआ जा सकता है। मैंने होते हुये देखा है। मैं ख़ुद हुआ हूँ। तो आइये अपने मुख्य विषय की तरफ़ आते हैं और जानते हैं…

9 Tips to become an Anchor

1. सबसे पहले अपने आप को बदलें – जी हाँ, सूत्रधार अथवा मंच संचालक एक बहुत ही जिम्मेदार व्यक्ति होता है। या फिर यूँ कहें कि मंच संचालन की ज़िम्मेदारी एक भरोसेमंद व्यक्ति को ही दी जाती है क्योंकि कार्यक्रम को सफ़ल बनाना या असफ़ल करना प्राथमिक रूप से कार्यक्रम संचालक पर ही निर्भर करता है।

याद रखें कि मंचीय कार्यक्रम में विशिष्ट और प्रतिष्ठित लोगों को अतिथि के रूप में आमंत्रित किया जाता है। कार्यक्रम की गरिमा पर ही आयोजक संस्था, आयोजक कमेटी या समाज की प्रतिष्ठा निर्भर करती है। इसलिये सदा ही मंच संचालक की ज़िम्मेदारी ज्यादा होती है। आपको ज्यादा ज़िम्मेदार दिखना होगा। जी हाँ, हो सकता आप हों, लेकिन आपको दिखना भी पड़ेगा।

सर्वप्रथम आपका पहनावा शालीन बनायें। सदा व्यवस्थित, सुरुचिपूर्ण और हल्के रंग के कपड़े पहनें। तड़क-भड़क के पहनावे से बचें। अपने आप को थोड़ा गंभीर बनायें। इसे आदत बना लें। यह आपकी एक सकारात्मक छवि creat करेगा। अगर आप किसी कार्य संस्थान, सोशल ग्रुप या क्लब से जुड़े हों तो सबसे बात करें लेकिन हल्की बात न करें। किसी की पींठ पीछे बुराई न करें। सबको सम्मान दें और मिलनसार बनें।

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2. अपनी भाषा चुनें – आप कहेंगें भाषा क्यों ? क्योंकि भाषा का बहुत महत्व है एकरिंग में। हिंदुस्तान में यह क्षेत्रीय भाषाओं को छोड़ दिया जाये तो मुख्यतः 3 भाषाओं में की जाती है। हिंदी, उर्दू एवम अंग्रेजी। इन भाषाओं में एकरिंग करने का अभिप्राय शुध्द भाषा की मर्यादा नहीं है, बल्कि अधिकतम शब्दों का प्रयोग करना है।

अलग-अलग कार्यक्रम का अलग-अलग स्तर, उनके श्रोताओं की अलग-अलग क्लास होती है। जैसे कि अभिजात्य वर्ग में मूलतः अंग्रेजी का प्रयोग होता है। यह शुद्ध तो नहीं होती ज्यादातर हिंग्लिश होती है लेकिन मूलतः अंग्रेजी टोन होती है। इसी प्रकार से अन्य भाषाओं के साथ होता है।

आपकी मुख्य टोन क्या है यह आपको चुनना होगा। और उसी भाषा का दैनंदिनी प्रयोग, उसी भाषा की शब्दावली बढ़ानी होगी। फाइनली कहें तो सोचना भी उसी भाषा में है आदत भी उसी भाषा की डाल लेनी है। बाद में यही आपकी शैली यही आपका फ्लेवर बनेगा। आपने सुना और देखा होगा कि कई वक्ता या एंकर शुद्ध हिंदी का प्रयोग करते हैं और यह बहुत ही खूबसूरत और प्रभावशाली लगता है।

3. अपना शब्दकोश बढायें – आप जिस भी भाषा की टोन चुनते हैं उसी भाषा पर आपको मेहनत करनी है। अगर आप उर्दू का चुनाव करते हैं तो उर्दू का साहित्य, उर्दू शायरी, ग़ज़ल और उर्दू का शब्दकोश पढ़ना पड़ेगा।

यहाँ उर्दू से मेरा मतलब देवनागरी उर्दू या रोमन उर्दू (आज़माइश) से है, शुद्ध उर्दू या अरेबिक उर्दू ( امتحان ) से नहीं। कोशिश करें कि एक ठीक-ठाक शब्दकोष याद कर सकें। शुरुआती दिक्कत आयेगी लेकिन वही आपका ख़ास स्टाइल बन जायेगा। इसी तरह अगर हिंदी का टोन रखते हैं तो आज़माइश को प्रयत्न, प्रयास, उपक्रम कहेंगें और अपनी भाषागत टोन यही रखेंगें।

4. ख़ुद को मटेरियालाइज़्ड करें – आपको काफ़ी कुछ याद करना होगा। शेर, कवितायें, कहावतें, कोट्स, ऐतिहासिक घटनाएँ, चुटकुले, प्रेरक प्रसंग आदि याद करने का प्रयास करें। हो सके तो नियम बनायें की नित्य 3 शायरी या पंक्तियाँ कंठस्थ करेंगें तथा एक किसी वक्ता की स्पीच सुनेंगें। ऐसा 3 महीने तक करें। छोड़ना उसके बाद भी नहीं लेकिन इतने में आप बढिया मटेरियालाइज़्ड हो जायेंगे। बात-बात पर शायरी, बात-बात पर पंचेज लगायेंगे।

एक कोई साहित्यिक लेख पढ़ेंगे जिससे शब्दकोश rich हो सके। इसको आदत बना लें। यह सब आपका प्रशिक्षण है। यह सब आपके अवचेतन मस्तिष्क में चला जायेगा तो जब आप माइक पर होंगें, situation के अनुसार स्वमेव ही अच्छा-अच्छा निकलता आयेगा। और यही आपकी शैली होगी। यही आपका style होगा।

5. अपने कार्य संस्थान पर चार्ज लें- आप जिस भी ऑफिस या कार्यस्थल से जुड़े हैं वहाँ कुछ ना कुछ विशेष पल आते हैं जैसे कि किसी की एनिवर्सरी या जन्मदिन होना, प्रोमोशन होना, स्थानांतरण होना, किसी नये सहकर्मी या बॉस की नियुक्ति होना अथवा ब्रांच का कोई स्पेशल लक्ष्य को achieve करना।

ऐसे अवसर पर अगर celebration कर रहे हैं तो आपको तुरंत ही एंकर की मुद्रा में charge संभाल लेना है। अगर celebration नहीं कर रहे हैं तो अपने सारे सहकर्मियों को बुलाकर एक छोटे से celebration का माहौल बना कर उस उपलक्ष्य को हाईलाइट करना है। इससे आप tune होंगें। आपकी हिचक जायेगी। आपकी पहचान बनेगी। और पहचान ही तो बनाना है।

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6. ‎किसी सामाजिक संस्था के सदस्य बनें – अपने आसपास नज़र दौड़ायें तो आपको कई सामाजिक सरोकार की संस्थायें अपने शहर में दिख जायेंगीं। जैसे कि अनाथ बच्चों के लिये कार्य करने वाली संस्था, बुज़ुर्ग लोगों के लिये कार्य करने वाली, पर्यावरण के लिये कार्य करने वाली संस्थायें।

कई संस्थायें धार्मिक हितार्थ और उनकी कम्युनिटी हितार्थ भी काम करती हैं उनमें से कोई ग्रुप जॉइन कीजिये। ऐसी संस्थाओं में समय-समय पर कुछ न कुछ आयोजन होते रहते हैं। आपको अपने एक्सपोज़र के ढेरों अवसर मिलेंगें।

7. ‎ख़ुद पहल करें – ऐसी संस्थाओं के आयोजनों में किसी मित्र से या मंचीय कार्यक्रम के होस्ट से या किसी ज़िम्मेदार व्यक्ति को कहें कि मुझे भी एक छोटी सी प्रस्तुति देनी है। आपको माइक मिल जायेगा। बस यही अवसर है। यही opportunity है। आप कोई गाना, कोई चुटकुला, कोई कविता, कोई प्रसंग आदि सुना सकते हैं।

केवल इतना याद रखना है कि आइटम प्रस्तुत करने से पहले 1-2 मिनिट की इंट्रोडक्टरी स्पीच देनी है। जैसे कि आप आयोजकों को उनके अच्छे arrangement के लिये बधाई सकते हैं। जिस उपलक्ष्य में कार्यक्रम हो रहा है उसकी शुभकामनाएं सभी सदस्यों को दे सकते हैं। एंकर की तारीफ एवम पिछली एक दो प्रस्तुतियों की प्रशंसा कर सकते हैं।

8. होमवर्क करके जायें- अगर आप अपनी पिछली प्रस्तुति में ठीक-ठाक परफॉर्म किये थे तो ख़ुद ही पहल करने वाला मामला एक दो बार ही करना पड़ेगा अन्यथा आपसे स्वयं ही पूछ लिया जायेगा या आपको एक प्रस्तुति के लिये बुला लिया जाएगा। यहाँ आपको याद रखना है कि पहली प्रस्तुति देने के बाद आपको अगले इवेंट में होमवर्क करके ही जाना है।

जैसे कि अगला इवेंट 15 अगस्त के उपलक्ष्य में झंडारोहण का है तो आपको एक देशभक्ति गीत या देशभक्ति कविता या शायरी तैयार करके ले जानी है। साथ ही कुछ तथ्य भी उस दिन के तैयार करके ले जाने हैं।

जैसे कि ‘यह स्वतंत्रता दिवस भारत का 70वां स्वतंत्रता दिवस है। आज अवसर है उन शहीदों को नमन करने का जिनकी शहादत और संघर्ष के फलस्वरूप हम 70 साल से आज़ाद वतन में स्वछंद तरीके से जी रहे हैं।’ इस प्रकार की भूमिका बना कर आप अपनी प्रस्तुति दे सकते हैं।

9. ‎हाई अलर्ट पर रहें – अब आपकी पहचान बनने लगी है, अब आपकी एक प्रस्तोता के रूप में पहचान बनने लगी है। और अब आपको कभी भी किसी भी आयोजन में किसी भी विषय के लिये माइक दिया जा सकता है। कोई अनाउंसमेंट करने के लिये अथवा किसी छोटे-मोटे प्रोग्राम को संचालित करने के लिये अथवा आप से बिना पूँछे एक प्रस्तुति देने के लिये। इसलिये आपको अब हाई अलर्ट पर रहना होगा।

जिस किसी भी उपलक्ष्य में आयोजन हो रहा हो आपको एक दो दिन पहले एक सदस्य बतौर आमंत्रित किया जायेगा। आपको उस उपलक्ष्य के बारे में कुछ नोट्स, कोट्स या प्रस्तुति अपने पास रेडी रखनी है। चाहे आपकी प्रस्तुति पूर्व निर्धारित हो या ना हो। जब आप ऐसा करेंगें तो अनायास रूप से मिले अवसर में भी बेहतर कर जायेंगे। और फाइनली आप माइक के विजेता के रुप मे स्थापित होने लगेंगें।

यहीं से आपकी विजय यात्रा शुरू हुई। आप एक एंकर के रुप में शीघ्र ही स्थापित हो जायेंगे। शीघ्र ही आपको एक बड़ा assignment ऑफर किया जायेगा। फिर तो पीछे मुड़कर वापिस जाना आपके वश में नहीं रहेगा। जी हाँ, एक मंचीय प्रस्तोता सामाजिक प्रॉपर्टी हो जाता है और उसके पास मंच संचालन के ढेरों मौके ख़ुद चलकर आने लगते हैं।

आपको इस बावत कोई जिज्ञासा या कोई प्रश्न हों तो आप comments box में दर्ज कर पूँछ सकते हैं। यह आर्टीकल एंकर कैसे बनें आपको कैसा लगा। जरुर बतायें। धन्यवाद

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