मंच संचालन स्क्रिप्ट- संगीत संध्या । Anchoring script-musical night

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-नमस्कार दोस्तो, संस्कारधानी कला परिषद् द्वारा होली मिलन के सुअवसर पर आयोजित इस सुरों से गुनगुनाती हुई शाम में मैं अमित ‘मौलिक’ आज के कार्यक्रम के अतिथि गण, विशिष्ट जन एवम आप सब संगीत प्रेमियों का बहुत बहुत स्वागत करता हूँ-एहतराम करता हूँ ।

आज की इस सुरीली शाम को सुर बद्ध करने वाली हमारे शहर की जानी मानी आरकेस्ट्रा मेलोडी एंड रिदम एवं उनके सभी ख्यातनाम कलाकारों का भी स्वागत करता हूँ। आप से अनुरोध है कि एक बार जोरदार तालियां संस्कारधानी कला परिषद् के लिये बजा दे।

-ऐसी ही जोरदार तालियां एक बार हमारी आरकेस्ट्रा मेलोडी एंड रिदम के स्वागत में भी बजा दें। धन्यबाद

-दोस्तो, तमाम तरह की मानवीय प्रतिक्रियाओं में एक काबिले जिक्र प्रतिक्रिया है मुग्ध हो जाना। और मुग्धता एक रूहानी स्थिति है जो किसी भी प्रकार की रुचिकर क्रिया से उत्पन्न होती है।

हमारी रूह-हमारी आत्मा को कोई क्रिया जब लुभाती है तो हम मन्त्रमुग्ध हो जाते हैं और यह स्थिति किसी ध्यान से कम नहीं होती, ध्यान जहाँ हम स्वयं को भूल जाएं, खो जाएँ।

निःसंदेह संगीत के माध्यम से भी ईश्वर के निकट जाया जा सकता है। तो आइये आज हम इन सुरों के संसार में खो कर, मन्त्र मुग्ध हो कर स्वयं को भूलें और एक आनंद यात्रा आरम्भ करें।

-मित्रो, जैसी कि हमारी भारतीय संस्कृती की विशेषता है किसी भी सांस्कृतिक आयोजन के पहले हम श्री गणेश वंदना करते हैं। मैं मेलोडी एंड रिदम की गायिका सुश्री गीता ठाकुर से अनुरोध करता हूँ कि वो मंच पर आयें और श्री गणेश वंदना के क्रम को पूर्ण करें ।

बहुत ही सुमधुर ईश वंदना। धन्यवाद गीता जी । सारा प्रेक्षाग्रह ऊर्जामयी प्रतीत होता हुआ।

-दोस्तो, चूँकि यह एक संगीत का कार्यक्रम है अतः हम माँ सरस्वती को पुष्प अर्पण करते हुए उनके चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन करेंगे।

 

-मैं आज के कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री…………………….जो कि…………………..हैं, मैं उनके जादुई व्यक्तित्व को दो पंक्तियाँ अर्पित करते हुए दीप प्रज्ज्वलन के लिए मंच पर आमंत्रित करना चाहता हूँ... 

बेवक़्त, बेवजह, बेहिसाब मुस्कुरा देता हूँ,
आधे दुश्मनो को तो मैं यूँ ही हरा देता हूँ। 

जोरदार करतल ध्वनि हमारे शहर के गौरव के लिये। 

-अब मैं आज के कार्यक्रम के अध्यक्ष श्री ……………….जो कि ………….हैं, मैं उनके विराट व्यक्तित्व को चंद पंक्तियाँ अर्पित करते हुये उन्हें दीप प्रज्ज्वलन के लिए मंच पर आमंत्रित करना चाहता हूँ कि… 

ना गिनकर देता है, ना तोलकर देता है,
ईश्वर किसी किसी को, दिल खोल कर देता है। 

जोरदार करतल ध्वनि हमारे अध्यक्ष जी के लिये।

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