भगवान बाहुबली पर कविता। Bhagwaan bahubali Hindi Poem
अनेक वर्षों बाद भरत महाराज के दरबार में एक साथ तीन संदेशवाहक आते हैं। एक कहता है-राजन्! आपके पूज्य पिता ऋषभदेव को केवलज्ञान प्रगट हुआ है। दूसरा कहता है-राजाधिराज! आपकी आयुधशाला में चक्ररत्न उत्पन्न हुआ है।
पुन: तीसरा समाचार पुत्ररत्न की उत्पत्ति का आता है। इन हर्षवर्धक तीनों समाचारों को एक साथ सुनकर भरतराज मन में विचार करने लगे कि पहले कौन सा उत्सव मनाना चाहिए।
पुन: वे सोचते हैं पहले केवलज्ञान उत्सव की पूजा करना अत: वे भगवान ऋषभदेव के समवसरण में पहुँचकर भगवान की पूजा करके दिव्य उपदेश श्रवण करते हैं।
उसी समय भरत के तीसरे भाई वृषभसेन आकर दीक्षा लेकर भगवान के प्रथम गणधर हो जाते हैं। बहन ब्राह्मी-सुन्दरी भी आर्यिका दीक्षा लेकर आर्यिकाओं में प्रमुख बन जाती हैं।
भरत महाराज वहाँ से आकर चक्ररत्न की पूजा करके पुत्र जन्म के उत्सव को सम्पन्न करते हैं। पुन: चक्ररत्न को आगे कर दिग्विजय के लिए प्रस्थान कर देते हैं। दशों दिशाओं के सभी राजाओं को अपने अधीन करके भरत साठ हजार वर्ष बाद अयोध्या में प्रवेश करना चाहते हैं कि इसी समय उनका चक्ररत्न अयोध्या के गोपुर द्वार पर रुक जाता है।
जब भरत को पता चलता है कि अभी हमारी दिग्विजय यात्रा अधूरी है, हमारे भाई ही हमारे अधीन नहीं हैं तब वे अपने अनंतविजय आदि अट्ठानवे भाइयों के पास दूत भेजते हैं।
इस अवसर पर वे सभी भाई भरत की अधीनता स्वीकार न कर पूज्य पिता ऋषभदेव के पास जाकर मुनि बन जाते हैं पुन: भरत बाहुबली के पास भी दूत भेजते हैं किन्तु बाहुबली भी भरत को राजाओं का राजा चक्रवर्ती मानकर अधीनता स्वीकार करना नहीं चाहते हैं। तब दोनों पक्ष में युद्ध का तुमुल बज उठता है।
इस दृश्य को देख दोनों पक्ष के मंत्री विचार करते हैं कि यह महायुद्ध महान हिंसा को कराने वाला होगा अत: इन दोनों भाइयों में ही आपस में धर्मयुद्ध क्यों न हो जावे।
मंत्रियों की प्रार्थना को स्वीकार कर भरत-बाहुबली के बीच दृष्टि युद्ध, जल युद्ध और मल्ल युद्ध इन तीन युद्धों का निर्णय हो जाता है। भरत का वर्ण सुवर्ण सदृश है और ऊँचाई पाँच सौ धनुष प्रमाण है। बाहुबली का वर्ण मरकतमणि के समान हरा है और ऊँचाई सवा पाँच सौ धनुष है।
दृष्टियुद्ध में दोनों भाई अपलक दृष्टि से एक-दूसरे को देख रहे हैं। कुछ क्षण बाद भरत की पलक झपक जाती है अत: बाहुबली की विजय मान ली जाती है। दोनों भाई सरोवर में उतरकर एक-दूसरे पर जल उछालते हैं। यहाँ भी भरत कद में नीचे होने से व्याकुल हो उठते हैं तब बाहुबली की जीत हो जाती है।