एंकर कैसे बनें – एक अच्छा एंकर बनने के लिये क्या करें । एंकरिंग की शुरुआत कैसे करें। एंकर बनने के 9 नियम । 9 Tips to become an Anchor

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सबसे बड़ी रुकावट है हमारा low confidence । आत्मविश्वास की कमीं। असफ़ल होने का डर। जग हंसाई का भय। और यह एक साधारण बात है। जी हाँ, अगर आपको भी ऐसा लगता है तो आप भी हम सभी मंच संचालकों की तरह हैं क्योंकि हमें तो आज भी लगता है। और लगना भी चाहिये तभी तो हम चौकस रहेंगें। तभी तो हम होमवर्क करेंगें। तभी तो हम materialized होंगें। तो यह एक साधारण बात है। Humen being मंच पर जाने में थोड़ी सी nervousness तो होती है, हर किसी को होती है। बड़े-बड़े एंकरों, बड़े-बड़े वक्ताओं को होती है।

फिर अंतर क्या हुआ, ख़ास क्या हुआ? अंतर इस बात का है कि प्रशिक्षित एवम अनुभवी प्रस्तोता शुरुआती भय को 2-4 मिनिट में ही जीतकर अपनी लय पा लेता है। और ऐसा इसलिए होता है क्योंकि उसे experience होता है। नये लोगों का भय अलग तरह का होता है। अनुभव के अभाव में, एक success story न होने के कारण अपने ऊपर विश्वास नहीं बन पाता। जहाँ आपने एक assignment पूरा किया वहीं आपके अवचेतन मस्तिष्क Sub conscious mind की प्रोग्रामिंग हुई। और आपका भय निकल जाता है।

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बहुत बेहतर होना, बहुत कमाल होना, बहुत दक्ष होना यह वैयक्तिक क्षमता पर निर्भर करता है। ज्यादा बेहतर या कम बेहतर हुआ जा सकता है, होते भी हैं लेकिन यह कोई challenge नहीं है। करते करते काफ़ी बेहतर हुआ जा सकता है। मैंने होते हुये देखा है। मैं ख़ुद हुआ हूँ। तो आइये अपने मुख्य विषय की तरफ़ आते हैं और जानते हैं…

9 Tips to become an Anchor

1. सबसे पहले अपने आप को बदलें – जी हाँ, सूत्रधार अथवा मंच संचालक एक बहुत ही जिम्मेदार व्यक्ति होता है। या फिर यूँ कहें कि मंच संचालन की ज़िम्मेदारी एक भरोसेमंद व्यक्ति को ही दी जाती है क्योंकि कार्यक्रम को सफ़ल बनाना या असफ़ल करना प्राथमिक रूप से कार्यक्रम संचालक पर ही निर्भर करता है।

याद रखें कि मंचीय कार्यक्रम में विशिष्ट और प्रतिष्ठित लोगों को अतिथि के रूप में आमंत्रित किया जाता है। कार्यक्रम की गरिमा पर ही आयोजक संस्था, आयोजक कमेटी या समाज की प्रतिष्ठा निर्भर करती है। इसलिये सदा ही मंच संचालक की ज़िम्मेदारी ज्यादा होती है। आपको ज्यादा ज़िम्मेदार दिखना होगा। जी हाँ, हो सकता आप हों, लेकिन आपको दिखना भी पड़ेगा।

सर्वप्रथम आपका पहनावा शालीन बनायें। सदा व्यवस्थित, सुरुचिपूर्ण और हल्के रंग के कपड़े पहनें। तड़क-भड़क के पहनावे से बचें। अपने आप को थोड़ा गंभीर बनायें। इसे आदत बना लें। यह आपकी एक सकारात्मक छवि creat करेगा। अगर आप किसी कार्य संस्थान, सोशल ग्रुप या क्लब से जुड़े हों तो सबसे बात करें लेकिन हल्की बात न करें। किसी की पींठ पीछे बुराई न करें। सबको सम्मान दें और मिलनसार बनें।

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