मंच संचालन के 10 महत्वपूर्ण नियम-पार्ट 2 । Anchoring ke 10 important rules -part 2

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आप अगर मंच संचालक रूप में जाने जाते हैं तो आपको मंच संचालन की शायरियां, छंद, कुछ चुट्कुले, कुछ कहानियां, प्रेरक प्रसंग, आदि कंठस्थ होने चाहिये जिससे आप प्रस्तुति या प्रसंग अनुसार punch लगा सकें। अगर नहीं है तो इस विषय पर काम करना आरंभ कर दीजिये। एक कुशल मंच संचालक वही माना जाता है जो बिना डायरी या कागजों के निर्बाध बोलता जाता है-पंच लगाता है। एक Anchor की अर्हता (qualification) भी यही होती है।

इस बारे में एक तय rule है कि अगर आपके subconscious mind में material है तो वो प्रसंग अनुसार बाहर आयेगा। जब यह बाहर आने की timing perfect हो जाती है तो इसे ही presence of mind कहते हैं। इसलिए एक प्रस्तोता को सदा ही साहित्य पढ़ते रहना चाहिये। news से update रहना चाहिए और अपने काम की विषय सामग्री पर नज़र रहनी चाहिये।

 

9-कुछ न समझ आये तो आयोजकों और श्रोताओं की प्रशंसा करें:-

कई बार ऐसी परिस्थिति उत्पन्न हो जाती है कि दिमाग में कोई material उतरता ही नहीं या आधा-अधूरा याद आने के कारण हम कुछ बोल नहीं पाते।
ऐसी स्थिति में आप आयोजकों की एवम श्रोताओं की तारीफ कर सकते हैं और अगले क्रम पर आसानी से जा सकते हैं।
10- Flat Anchoring (सरल संचालन):-

फिर भी अगर आप सहज नहीं हैं, आपका दिमाग काम नहीं कर रहा है, आपको कुछ भी मसलन शायरियां, छंद, चुट्कुले, कहानियां, प्रेरक प्रसंग, आदि याद नहीं आ रहे हैं। click हो भी रहे हैं तो appropriate नहीं हो रहे हैं तो घबड़ाएं नहीं, सरल एवम सीधा संचालन करने का मंत्र अपनायें।

आप कुछ ज्यादा रचनात्मक ना करके नियम 5 के अनुसार बनाये गए क्रम के according संचालन करते जायें।

उदाहरण के लिये-

Entry lable की भूमिका: ग्रीन क्लब के इस स्थापना दिवस के कार्यक्रम में, मैं अमित मौलिक आप सबका हार्दिक स्वागत करता हूँ। मैं गणेश वंदना के लिए सुश्री नीता जी को आमंत्रित करता हूँ कि वो आयें और अपनी प्रस्तुति दें।

(गणेश वंदना का समापन)

जोरदार तालियाँ मित्रो। इसके बाद मैं अपने अतिथियों को दीप प्रज्ज्वलन के लिये आमंत्रित करना चाहूंगा। मैं आज के विशिष्ट अतिथि SBI के सम्भागीय महाप्रबंधक श्री धनंजय सोनी जी को आमंत्रित करता हूँ। वो आयें और मंच पर आसन ग्रहण करें। जोरदार तालियाँ हमारे विशिष्ट अतिथि के लिये।
(इसी प्रकार से सारे अतिथियों को बुला लें)। इसके बाद का जो क्रम है वो स्वागत का है तो मैं स्वागत गीत के लिए सुश्री निर्मला कश्यप जी को आमंत्रित करता हूँ कि वो आएं और स्वागत गीत प्रस्तुत करें।

ऐसे सरल सञ्चालन में केवल क्रम अनुसार आगे बढ़ते रहें। कार्यक्रम सुचारू रूप से चलता जायेगा। और आप भी सहज रहेंगे। श्रोताओं और आयोजकों को कोई खास अंतर नहीं समझ आयेगा और ना ही कार्यक्रम समापन के बाद कुशल एवम शानदार संचालन की कमी महसुस होगी। आपकी कुशल संचालन के लिये सराहना होगी। इस प्रकार के संचालन में गलतियाँ नहीं होंगी, कुछ भूलेंगे नहीं और कोई तनाव भी नहीं होगा। गलतियां कर देने से बहुत बेहतर है कि प्रक्रिया सरल कर दिया जाये।
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