नारी सशक्तिकरण पर कविता । Poem on women empowerment
नारी सशक्तिकरण पर कविता – उड़ती बात सभी पाठकों का सादर अभिवादन करती है। मित्रों, 8 मार्च को महिला दिवस है। इस आर्टीकल नारी सशक्तिकरण पर कविता में आपके समक्ष महिला शक्ति पर एक ओजमयी कविता प्रस्तुत कर रहा हूँ, जिसका शीर्षक है ‘कहीं तो मेरा नाम हो’ आशा है कि यह कविता आप सब को पसंद आयेगी। धन्यवाद
नारी सशक्तिकरण पर कविता
। कहीं तो मेरा नाम हो ।
अहद उठी है ताब सी, जिगर में एक आब सी
हुमक उठी है गर्जना, प्रपंच हैं ये वर्जना।
सदा नियम रिवाज़ में, ये वंश ये समाज में
युगों से बात बात में, कुलों में और ज़मात में।
सदा ही नार तिक्त क्यों, है भीड़ मगर रिक्त क्यों
हे रंजना हे संजना, करो तो कोई वंचना।
• महिला दिवस के आयोजन का आमंत्रण
सहो नहीं अज़ाब यूँ, रहो नहीं अवाक् सी
भड़क उठो भभक उठो, उत्तंग चण्ड आग सी।
ह्रदय तुम्हें कहूँ तो क्यों, विवश सदा रहूँ तो क्यों
सदा ये ज़िम्मेदारियाँ, ये मौज और यारियां।
बनूँ तो मैं बनूँ ही क्यों, सहुँ तो मैं सहुँ ही क्यों
कंहीं तो मेरा नाम हो, क्यों बंदिशें तमाम हों।
ये रीतियाँ कुरीतियाँ, ये स्वार्थ पूर्ण नीतियां
हे दर्शना हे कामना, बन बज्र करो सामना।
सहो नहीं अज़ाब यूँ, रहो नहीं अवाक् सी
भड़क उठो भभक उठो, उत्तंग चण्ड आग सी।
उगाओ चाँद सब्र से, सूरज लपक लो अभ्र से
उठो उठाओ ताज को, सँभालो राज काज को।
स्वरूपता को जान लो, नियंतता हो मान लो
मौलिक अडिग अटूट हो, तिरोह की ना छूट हो।
ना आसुंओं की रसम हो, मनुहार हो ना कसम हो
हे नीलिमा हे शोभना, उठो करो विक्षोभ ना।
सहो नहीं अज़ाब यूँ, रहो नहीं अवाक् सी
भड़क उठो भभक उठो, उत्तंग चण्ड आग सी।
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बहुत ओजस्वी कविता है | शायद मई कल अपने स्कूल मे सुनाऊँगी |
बहुत ओजस्वी कविता है | शायद मई कल अपने स्कूल मे सुनाऊँगी |
बहुत-बहुत शुक्रिया मंजुला जी। आभार आपका जो आपने मेरी रचना को इतना प्रतिसाद दिया। आपकी सराहना से और बेहतर करने की प्रेरणा मिली। उड़ती बात के साथ बने रहें । शुभ रात्रि ।
बेहतरीन कविता है। कृपया अपना नम्बर दीजिए।
बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय गौरव साहेब। आप जैसे सुधिजन ही हमारी ऊर्जा के स्रोत हैं।
आपकी कविता बहुत दिनो के बाद रशिमी रथी जैसा अनुभव कराया ।मै एक समान्य आदमी हू।मुझे जो लगा उसे दिल से बताया हू।आपको बहुत बहुत धन्यवाद ।
Mahila divas per quote
Mahila divas per manchan karna hai