मंच संचालन स्क्रिप्ट-गणतंत्र दिवस। manch sanchalan script- Republic Day

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मैं अपने वरिष्ठों से अनुरोध करता हूँ कि वो हमारे डिगनिटीज़ को सहायता प्रदान करें। 

 

ध्वजारोहण के पश्चात राष्ट्रगीत गायन। 

 

हमारा तिरंगा विश्वविजयी हो ऐसी कामना के साथ एक बार जोरदार तालियाँ बजा दीजिये। बहुत-बहुत धन्यवाद। 

 

 

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एंकर फीमेल

जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तु ते 

देहि सौभाग्यमारोग्यं, देहि मे परमं सुखम्
रूपं देहि जयं देहि, यशो देहि द्विषो जहि।

जी हां साथियो, जैसी कि भारतीय संस्कृति की परम्परा है, हम सर्व प्रथम माँ भारती और माँ सरस्वती के चरणों में दीप प्रज्वलित करके मंगल कामना के पावन क्रम को आरम्भ करते हैं।

मैं अपने गुरुजन/पदाधिकारियों श्री ………………….जी से एवम श्री…………………जी से अनुरोध करती हूँ कि वो हमारी डिगनिटीज़ को मंच तक ले के आयें ताकि इस क्रम का संपादन हो सके । 

 

(दीप प्रज्ज्वलन का समापन)

 

एंकर मेल-एक बार जोरदार करतल ध्वनि के साथ इस मंगल परम्परा का अनुमोदन करते हैं और माँ भारती और माँ सरस्वती से प्रार्थना करते हैं कि इस देश पर उनकी ममता बरसती रहे।

 

उडू अम्बर में चिड़ियों सा चहक जाऊँ लहक जाऊँ
खिलूँ गुल सा चमन में और खुशबू सा महक जाऊँ
कुहासे सारे संशय के मेरे मन से हटा देना
मेरी मैया शारदे माँ मुझे अपना बना लेना 

 

इस ओजमयी क्रम के पश्चात मैं अतिथि स्वागत नृत्य की प्रस्तुति के लिये हमारे प्रतिभागियों कुमारी…….एवम कुमारी…….. को मंच पर आमंत्रित करता हूँ कि वो यथाशीघ्र आयें और स्वागत नृत्य प्रस्तुत करें। 
एंकर मेल-एक बार जोरदार तालियाँ इस उत्कृष्ट प्रस्तुति के लिये।

मै अतिथि स्वागत के इस क्रम को आंगे बढ़ाते हुये आज के मुख्य अतिथि श्रीमन…………. जी की करिश्माई शख्सियत को ये दो पंक्तियाँ समर्पित करना चाहता हूँ कि.. 

 

इस बस्ती से अलग ज़माने से ज़ुदा कह दें
अजब कहें अज़ीम कहें अलहदा कह दें
आपकी रहनुमाई के किस्से इतने मकबूल हैं
कि हमारी पेश चले तो हम आपको खुदा कह दें।

जोरदार तालियाँ हमारे मुख्य अतिथि के लिए। मैं हमारी (संस्था/स्कूल/कॉलेज) के अध्यक्ष/उपाध्यक्ष/सचिव श्री……………..से अनुरोध करता हूँ कि वो आयें और माल्यापर्ण करके उनका स्वागत करें-अभिनंदन करें। 

 

एंकर फीमेल-अभिनंदन के इस क्रम को आंगे बढ़ाते हुए मैं आज के कार्यक्रम अध्यक्ष श्रीमन………………..जी के करिश्माई व्यक्तित्व को ये पँक्तियाँ समर्पित करना चाहती हूँ कि… 

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