कविता दोहे-हमजोली/kavita dohe-hamjoli

Buy Ebook

child-childrens-baby-children-s

बूढ़ा पेड़ कनेर का,  पनघट के था पास
रोज़ सबेरे मिलन की, करते थे हम आस 
 मुट्ठी भर के दूब ली, फूल चमेली तीन
भेंट में दे के हो गये, बातों में तल्लीन 
 लोहडी का मेला गये, मंगल का बाजार
काका जी की गोलियाँ, भूल गये हो यार 
 इमली पत्थर पीस के, चटखारे छै सात
नित्य नई थी दावतें, हमजोली के साथ 
 बच्चों में बच्चे रहे, बचपन दिया गुजार
ऊँचे कद के हो गये, बिसरा सारा प्यार 
 सांसो के बाजार में,  दिल तन्हा घबराय
विरहन की पीड़ा बड़ी, हमसे सही ना जाये 

 सान्झ-सकारे कर दिये,  हमने तेरे नाम
पग-पग आँख निहारती, कब आयेंगे श्याम 
 रुत मस्तानी छोड़कर, चले गये परदेश
रंगो में रंग ना रहा, स्वांस में स्वांस ना शेष 
 ख्वाबों की बगिया मेरी, बिन माली के प्यार
धीरे से मुरझा गये, सुमन खिले थे चार
 अरमानों की सेज के, मुरझाये सब फूल
हमने तुमसे प्यार कर, बहुत बड़ी की भूल 
झरना फूटा नेह का, कोई ना आया तीर
धारा तो कल कल बहे,  नीर बन गया पीर 
पंछी हैं तुमसे भले, समझें मन की बात
जिनसे नैना लड़ गये, करें ना उनसे घात
 इक दिन वापिस आओगे, चले जाओ जिस ओर
तेरे मन से बँध गई,  मौलिक मन की डोर 

Leave a Reply