अभिनंदन पत्र पार्ट 2 – सम्मान पत्र, मोमेंटो, मेमेंटो, samman patra, abhinandan patra
अभिनंदन पत्र पार्ट 2 – दोस्तों, हमारे देश में सामाजिक संस्थाओं और धार्मिक आयतनों में निस्वार्थ सेवादारों को सम्मानित करने की प्रशंसनीय परंपरा का चलन है। वृस्तित रूप में देश और समाज में उल्लेखनीय भूमिका निभाने वाले विशिष्ट जनों को भी समाज सम्मानित करके, उनके पुनीत कार्यों की प्रशंसा और अनुमोदना करके समाज के अन्य समर्थ लोगों के सामने एक उदाहरण प्रस्तुत करता है जिससे अच्छाई की भावना को बढ़ावा मिले। इस तरह की अनुशंसा में व्यक्ति विशेष को सम्मान पत्र या अभिनंदन पत्र अथवा मोमेंटो प्रदान करके उन्हें जन समूह के सामने सम्मानित किया जाता है। ऐसा ही एक अभिनंदन पत्र पार्ट 2 का नमूना आपके सामने प्रस्तुत है।
अभिनंदन पत्र पार्ट 2
सारा शहर अपना दिल जिनके नाम करता है।
यह ‘नगर ग्रुप’ ऐसे ‘भाई जी’ को प्रणाम करता है।
मित्रों, दिल जीतना इतना आसान नहीं होता। यह कोई मुहिम नहीं होती। इसके लिये कोई जंग नहीं लड़नी पड़ती। महज़ सर्व-हिताय, सर्व-सुखाय की पुनीत भावना रखकर अपने आप को कार्यों मे निरंतर झौंकना होता है औऱ आने वाली पीढ़ी को अपना श्रेष्ठ सौंपना होता है।
इतिहास साक्षी रहा है कि दिल जीतने वाले कर्मयोगी व्यक्तित्व संसार में विरले ही होते हैं।
हमारे लिये यह बड़े ही गर्व की बात है कि हमारे शहर जबलपुर में ऐसे ही एक महान व्यक्तित्व के धनी हमें अपनी वरदायी छत्रछाया से शुशोभित करते हैं। और वो व्यक्ति हैं माननीय श्री संतोष कुमार जैन ‘भाई जी’ । भाई जी के अमिट योगदानों के बारे में यदि वृस्तित चर्चा की जाये तो घण्टों बीत जायें। किंतु उनके चंद पुनीत कार्यों का उल्लेख हम अवश्य करना चाहेंगें।
जबलपुर शहर ही नहीं, पूरे महाकौशल की शान श्री पिसनहारी तीर्थ मढ़िया जी के अध्यक्ष रहते हुये भाई जी ने तीर्थ के सारे ऐतिहासिक व वैधानिक दस्तावेज़ सूचीबध्द कर दिए। क्षेत्र की सभी प्रतिमाओं का छायांकन करवा कर, फोटो एलबम और निगेटिव्स एक स्ट्रोंगरूम बनवाकर आने वाली पीढ़ियों के लिये संरक्षित करवा दिया। साथ ही पूरे तीर्थ की भूमि तथा 18 एकड़ के पहाड़ का सीमांकन करवाकर,पहाड़ के दोनों ओर से पत्थर की अभेद दीवार बनवाकर युगों-युगों तक के लिये तीर्थ को सरंक्षित और सुरक्षित कर दिया। आपके कार्यकाल में ही पिसनहारी तीर्थ में नवीन धर्मशाला का निर्माण हुआ जिसे ज्ञानसागर धर्मशाला के नाम से जाना जाता है।
इसी तरह आपने श्री वर्णी दिगम्बर जैन गुरुकुल के कोषाध्यक्ष पद पर रहते हुये गुरुकुल के सभी वैधानिक दस्तावेज सरंक्षित करवा कर आने वाली पीढ़ियों हेतु सुरक्षित कर दिये। गुरुकुल की निर्बाध आय व्यवस्था हेतु गुरुकुल के सामने तरफ दुकानें निकलवाईं, जो कि वर्तमान में गुरुकुल की आय का एक निश्चित और निश्चिंत स्रोत है।
इसी तरह दयोदय तीर्थ के सरंक्षक के रूप में आपके एवं सहोदर स्व.श्री केवल चंद सिंघई जी के प्रयासों से श्री पिसनहारी तीर्थ मढ़िया जी ने दयोदय तीर्थ को 1 करोड़ की बड़ी राशि दान के रूप में मंदिर निर्माण हेतु दी। एक धार्मिक संस्था द्वारा दूसरी धार्मिक संस्था को इतनी बड़ी राशि का दान समूचे भारतबर्ष में एक अद्वितीय मिसाल के रूप में स्थापित हुआ। जिसकी प्रशंसा स्वयं आचार्य भगवन तीर्थ के पदाधिकारियों से आशिर्वचन में कर चुके हैं।
सरंक्षणी सभा के सरंक्षक के रूप में उनके किये गये कार्यों के लिये आचार्य श्री का विशिष्ट आशीर्वाद प्राप्त है, श्री बहोरीबंद तीर्थ, श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर लार्डगंज, श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन बड़ा मंदिर, हनुमानताल, पुत्री शाला, परवार सभा आदि ऐसे अनेक धार्मिक आयतन और सामाजिक सरोकार की संस्थायें हैं जिनके शीर्ष पदों पर रहकर ‘भाई जी’ ने अनगिनत ऐसे कार्य किये हैं जिसे पीढ़ियों तक मिसाल के रूप में याद रखा जायेगा।
समाज सेवी स्व.श्री हरिश्चंद्र जैन जी के पुत्र श्री संतोष कुमार जैन ‘भाई जी’ का पूरा परिवार ही जिन शासन को समर्पित है। भाई जी की एक विवाहित पुत्री और दो विवाहित पुत्रों में सुधीर जैन, समाजसेवी तथा नगर ग्रुप के सरंक्षक हैं तथा दूसरे भाई सुनील जैन मेन ग्रुप के दम्पत्ति सदस्य हैं। दोनों पुत्र, पिता से विरासत में प्राप्त समाजोउत्कर्ष का भाव लिए , मुनि सेवा व दयोदय में निर्मित हो रहे जिनालय के कार्य मे सलंग्न है।
83 बर्ष की आयु में भी समाज सेवा में उसी प्राण-पन से रत भाई जी का आज भावभीना अभिनंदन करके दिगंबर जैन सोशल ग्रुप ‘जबलपुर नगर’ गौरव की अनुभूति कर रहा है। हम सब दंपत्ति सदस्य, पदाधिकारी व कार्यकारिणी, उनकी विशालता को नमन करते हुये उनके श्रेष्ठतम स्वास्थ्य की मंगल कामना करते हैं।
इस लेख अभिनंदन पत्र पार्ट 2 के बारे में आपकी प्रतिक्रिया का स्वागत है।
very nice wording