Love Haiku। अनोखे लव हाइकु । मोहब्बत के हाइकु । प्यार में तकरार के हाइकु

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-चित्र साभार गूगल से-

हाइकु जापानी काव्य विधा का एक छंद है जिसे आजकल बहुतायत में लिखा जा रहा है। हिंदी काव्य में हाइकु का प्रयोग एक अभिनव प्रयोग है और बहुचर्चित कवियों ने अपने काव्य लेखन में इस छंद को स्थान दिया है।

केवल तीन पंक्तियों के छंद हाइकु में प्रथम पंक्ति में 5 शब्द होते हैं, दूसरी में सात एवम आखिरी पंक्ति में पुनः 5 शब्द। यहाँ शब्द से तात्पर्य अक्षर से है। जैसे अगर ‘मौन’ लिखा जाये तो ‘मौ’ को एक शब्द माना जायेगा और ‘न’ को एक। इसमें मात्रायें एवं अर्ध अक्षर को नही गिना जाता।

जिन सुधि पाठकों को इस बावत ज्ञात है, विवरण देने के लिए उनसे क्षमा। वेब पेज के रिकॉर्ड, संदर्भ-औपचारिकता वश विवरण आवश्यक है। आशा है कि मेरा ये रचनात्मक प्रयास आपको थोड़ा आनंद अवश्य प्रदान करेगा।

मौन है हाँ है,
तुम भी तो हो जाओ
ज़ुदा ज़ुबाँ है।

पहले सीखो,
मरना सरल है
जीकर देखो।

पियो पहले,
सारी कड़वाहट
यूँ कहाँ चले।

यह इल्ज़ाम,
कि बहने न दिया
नदी तो बनो।

अभी तुम हो,
तो बहुत कठिन
हम तो बनो।

गीली मिट्टी हूँ,
पानी नही मिलाओ
मन मिलाओ।

तेरा मेरा क्यों,
सब तो अपना है
रज़ा तो हो।

कहाँ से लाऊँ,
सुकूँ सब्र अब मैं
गुज़र तो हो।

और कितना,
सहता तो आया हूँ
और क्यों सहूँ।

चित्र साभार Pixabay.com

दूर तलक,
होकर तो आया हूँ
मैं था बस मैं।

बहुत मिला,
मिल न सका पर
मन तो मिले।

नाज़ुक हूँ मैं,
जोर अधिक न दो
टूट जाऊंगा।

और अधिक,
अब और कितना
अंतहीन है।

बांध लो मुझे,
समेट भी लो मुझे
गिनो ना तोलो।

बस बूंदें हूँ,
बरसना ही आता 
बहना नहीं।

हाँ घुलता है,
शरबत पीना है ?
क्या मिलता है !

नज़रिया हो,
नज़र का क्या करूँ
चश्मा उतारो।

रब यहीं है,
और कहाँ क्यों जाना
तुझमें ही है।

खुश्बू रोज़ की,
पहले मुझे देना
तेरा वादा है।

एहतराम !
ऐसा क्यों लगा तुम्हें
अरे है ना जी।

तौलो ना, घुलो,
तो रिश्ते मीठे होंगें
यही इश्क़ है।

मेरी ना पूछ,
अपनी बता मुझे
मैं तो पागल।

डरना नहीं,
मुद्दतों की तिश्नगी
टूट पडूंगा।

मौलिक हूँ मैं,
तुम रंग तो भरो
रंग जाऊंगा।

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