पुस्तक विमोचन मंच संचालन शायरी – पुस्तक विमोचन समारोह शायरी, विमोचन शायरी
पुस्तक विमोचन मंच संचालन शायरी – उड़ती बात के सभी प्रशंसकों को अमित जैन ‘मौलिक’ का सस्नेहाभिवादन। दोस्तों एक एंकर को किसी भी प्रकार के कार्यक्रम को संचालित करना पड़ सकता है। और एक कार्यक्रम प्रस्तोता को हर तरह के कार्यक्रम के लिये तैयार भी रहना चाहिए। अभी हालिया एक एंकर ने मुझसे पुस्तक विमोचन के कार्यक्रम के लिये मंच संचालन शायरी की माँग की। अतः आज का यह पोस्ट पुस्तक विमोचन मंच संचालन शायरी के द्वारा आप सबके समक्ष विमोचन शायरी का स्वरचित संग्रह प्रस्तुत कर रहा हूँ। सदा की तरह आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा में।
पुस्तक विमोचन मंच संचालन शायरी
खुदा से इश्क करने की, रिवायत मानता हूँ मैं
नशे में डूब जाने की, शरारत मानता हूँ मैं
उन्हें जिनको मोहब्बत है, लफ्ज़ पन्नों किताबों से
ये पुस्तक एक तोहफ़ा है, इनायत मानता हूँ मैं।
नई रचना नई शैली नई धुन की, अलख समझो
नये विद्रोह की तुरही, बिगुल वाली जहद समझो
उठी चिंगारियां इनकी कलम से, लो धुवाँ उट्ठा
नया बदलाव लायेगी, ये पुस्तक है अहद समझो।
पलक की कोर पर शबनम, हुमक करके खड़ी होगी
हज़ारों ख़्वाहिशें बेख़ौफ़ होकर के, लड़ीं होंगी
ज़िगर का दर्द होंठों की, हँसी तब आई पन्नों पर
किताबें तो बहुत पढ़ लीं, नहीं ऐसी पढ़ी होगी।
गीत लिखकर बहारों को, मुफ़त में बांट देते हैं
ग़ज़ल लिख कर सितारों कोे, ज़मीं पर टांक देते हैं
नज़्म में डूब जाता है, सुबक कर चाँद रो देता
आज के मीर हैं ये रुख, हवा का भाँप लेते हैं।
कवि ये धुन का पक्का है, नया कुछ ले के आया है
नया झरना ख्यालों का, हिमालय से बहाया है
इरादों की अहद इनकी, शिखर तक ले के जाएगी
ये पुस्तक एक दीपक है, हवाओं ने जलाया है।
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गुलों के शबनमीं कतरों से इक, सागर बनाया है
शाख के नर्म पत्तों से बहारों को, खिलाया है
शहद गुलकंद मिलता है, ग़ज़ल ओ नज़्म में इनके
नया गालिब नया ख़ुसरो, नया गुलज़ार आया है।
दिलों की तल्खियों को भूलकर, दिल में बसा लेना
गरम जोशी दिखाकर के, गले सबको लगा लेना
नहीं निर्देशिका ये एकता की, दिव्य गाथा है
बड़ा इक ख़्वाब देखा है, इसे अपना बना लेना।
नई ज़िद और जज़्बों की, नई भाषा लिखी हमने
नये प्रण लक्ष्य लिक्खे हैं, नई आशा लिखी हमने
विमोचन है नहीं निर्देशिका का, बात ऊंची है
दिलों के पास आने की, नई आशा लिखी हमने।
समाजों में दिशा निर्देश की, हमको ज़रूरत है
रिवाज़ों में नये अन्वेष की, हमको ज़रूरत है
जुटें हम एक होकर, हौसलों से आसमां छू लें
नई निर्देशिका आदेश की, हमको ज़रूरत है।
विमोचन करने आये हैं, नई निर्देशिका का हम
नया ज़ज़्बा नई इक सोच का, उनमान लेकर हम
इबारत हमने लिक्खी है, सभी के एक होने की
बड़ा कुछ कर दिखायेंगे, सभी को साथ लेकर हम।
आपकी शायरीया का अन्दाज ही निराला है आपकी हर शायरी अनमोल और अद्वितीय है
बहुत बहुत आभार भंसाली जी। आपकी प्रशंसा उत्साहित करती है।
me ek bhulaa hua balidaan hu,me ek kuchlaa hua uthaan hu,
tum bane ho jis bhavan ke kalash kanchan,us bhavan ki neev ka me passhaan hu.i
in line ke sath dhanyavaad,SUNIL BAJPAI ANCHOR ITARSI,HOSHANGABAD,M.P.
बहुत सुंदर पंक्तियाँ वाह। बहुत बहुत धन्यवाद बाजपेयी जी