रानी लक्ष्मी बाई : रानी लक्ष्मी बाई पर कविता – झाँसी की रानी लक्ष्मी बाई पर कविता, Rani lakshmi bai par hindi kavita
रानी लक्ष्मीबाई पर कविता – भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में वैसे तो लाखों देश भक्त हँसते-हँसते देश पर कुर्बान हो गये लेकिन चंद देशभक्त ऐसे हैं जिनकी अद्वितीय वीरता, बलिदान और योगदान आज भी बच्चे बच्चे की ज़ुबान पर हैं। इस आर्टिकल रानी लक्ष्मी बाई पर कविता के द्वारा आज हम ऐसी ही एक वीरांगना जिनका नाम रानी लक्ष्मीबाई था और जो झाँसी की रानी हुआ करतीं थीं। दोस्तों, आप सबने बचपन में महान कवियत्री सुभद्राकुमारी चौहान की कविता ख़ूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी ज़रूर पढ़ी होगी। अगर किसी ने पढ़ी नहीं होगी तो सुनी ज़रूर होगी। तो याद कीजिये उस कविता में दर्शाये गये रानी लक्ष्मीबाई के शौर्य और वीरता को।
दरअसल रानी लक्ष्मीबाई के अतुल्य शौर्य को लिखा ही नहीं जा सकता फिर भी कवि एवम साहित्यकार उनकी वीरता और देश के स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान को शब्दों की माला में पिरोते रहे हैं। अदम्य साहस, अतीव मेघा, अतुल्य पराक्रम, महान योद्धा, परम स्वाभिमानी एवम महान देशभक्त की प्रतिकृति थीं रानी जी। सन सत्तावन के स्वतंत्रता संग्राम का सूत्रपात करने का एवं नेतृत्व करने का श्रेय रानी लक्ष्मीबाई को ही जाता है।
19 नवंबर को झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई की 182वीं जयंती है। उनके जन्मदिवस के उपलक्ष्य में, मैं अपनी इस कविता के माध्यम से उनके त्याग और बलिदान को याद करता हूँ, उन्हें नमन करता हूँ, उन्हें श्रद्धा सुमन चढ़ाता हूँ।
रानी लक्ष्मी बाई पर कविता
विस्मृति की धुंध हटाकर के, स्मृति के दीप जला लेना
झांसी की रानी को अपने, अश्कों के अर्घ चढ़ा देना।
आज़ादी की बलिबेदी पर, हँसतें हँसते कुर्बान हुई
उस शूर वीर मर्दानी को, श्रद्धा से शीश झुका देना।
अफ़सोस बड़ा हम भूल गये, गोरों की ख़ूनी चालों को
जो लहू हमारा पीते थे, उन रक्त पिपासु कालों को
जो कालों की भी काल बनी, उसको इक पुष्प चढ़ा देना
उस शूर वीर मर्दानी को, श्रद्धा से शीश झुका देना।
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चढ़ अश्व चढ़ाई कर दी जब, झपटी थी मौत इशारों में
मुंडों के मुंड कटे सर से, तेरी तलवार के वारों में
झुंडों में आयें शत्रु दल, अगले पल शीश उड़ा देना
उस शूर वीर मर्दानी को, श्रद्धा से शीश झुका देना।
गर अलख जलाई ना होती, गर आग लगाई ना होती
सन सत्तावन में रानी ने, शमशीर उठाई ना होती
तो इतना था आसान नहीं, आजाद वतन करवा लेना
उस शूर वीर मर्दानी को, श्रद्धा से शीश झुका देना।
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बहुत धन्यवाद सुरेश जी।
आपकी रचनाएं लक्ष्मी बाई की तरह देश को समर्पित हैं।
जय हिन्द
जी,नमस्ते।
आपकी लिखी रचना “पांच लिंकों का आनन्द में” शुक्रवार 17 नवम्बर 2017 को साझा की गई है………………http://halchalwith5links.blogspot.com पर आप भी आइएगा….धन्यवाद!
बहुत बहुत धन्यवाद श्वेता जी। आपका आभारी हूँ।
भवोंसे भरी यह सूंदर प्रस्तुति बेहद शानदार है,
बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीया नीतू जी। बहुत आभार
बहुत ही सुन्दर ,बहुत ही लाजवाब रचना….
अद्भुत ,अविस्मरणीय…..
बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीया सुधा जी। बहुत आभार
Humne suna tha ek hai Bharat is song pr koi shayari batana sir………..
Sachmuch agar unhone aazadi ki alakh na jagaayi hoti to shayad humko jab azadi Naseeb Hui usse kafi salon bad bhi jaldi na milti