माँ पर ग़ज़ल : माँ पर ख़ूबसूरत ग़ज़लों की प्रस्तुति- Maa gazals
माँ पर ग़ज़ल – दोस्तो, आपके सामने प्रस्तुत है माँ पर दो ऐसी ग़ज़लें जिन्हें पढ़कर आप वाह किये बिना नहीं रहेंगें।
माँ पर ग़ज़ल-माँ का मुक़द्दर
ज़न्नत वहीं दिखती है जहाँ घर होता है।
माँ जब ख़ुश होती है तो असर होता है।
माँ आँखे खोलती है तो रौशनी होती है
अंधेरा रोज मेरे घर मे दर बदर होता है।
मैं माँ के कदमों को छू कर निकलता हूँ
फिर दोस्त मेरा ये सारा शहर होता है।
माँ आज भी मुझे सज़दे में ही मिलती है
मुझे घर आने में वक़्त अगर होता है।
राजा बेटा कहती माँ तो सबको मिलती है
राजा बेटा मिले माँ का मुक़द्दर होता है।
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Maa par Gazal-Maa ka muqaddar
Zannat wanhi dikhti hai
jahaan ghar hota hai
Maa jab khush hoti hai
to asar hota hai.
maa aankhen kholti hai
to roshni hoti hai
andhera roz mere ghar me
dar badar hota hai.
mai maa ke kadmo ko
chhoo kar nikalta hoon
fir dost mera ye saara
shahar hota hai.
maa aaj bhi mujhe
sajade me hi miltee hai
mujhe ghar aane me
waqt agar hota hai
raaja beta kahti maa to
sabko miltee hai
raaja beta mile maa ka
muqaddar hota hai.
माँ पर ग़ज़ल-माँ की बात और ही है
होगा अपनी जगह समंदर, माँ की बात और ही है
इश्क़ लबालब दिल के अंदर, माँ की बात और ही है।
लोबानों से नज़र उतारी, आज ख़ूब माँ ने मेरी
अला बला पल में छूमंतर, माँ की बात और ही है।
रहमत नेमत रहम करम सब, चुटकी में मिल जाते हैं
ईश्वर अल्लाह पीर पैगम्बर, माँ की बात और ही है।
उम्मीदेँ तो देखो माँ की, आसमान छू जाती हैं
इक दिन होगा लाल सिकंदर, माँ की बात और ही है।
बेटे की ख़ातिर मन्नत में, फ़ाक़ा करके सोई है
इत्मीनानी रुख़ पर मंज़र, माँ की बात और ही है।
Maa par Gazal-Maa ki baat aur hi hai
Hoga apni jagah samandar,
maa kee baat aur hee hai
ishq labaalab dil ke andar,
maa kee baat aur hee hai.
lobaanon se nazar utaari,
aaj khoob maa ne meri
ala bala pal me chhoo mantar
maa kee baat aur hee hai.
rahmat nemat raham karam sab,
chutkee me mil jaate hain
eeshvar allaah peer paigambar,
maa kee baat aur hee hai.
ummeeden to dekho maan ki,
aasmaan chhoo jaati hain
ik din hoga laal sikandar,
maa kee baat aur hee hai.
bete ki khaatir mannat me,
faaqa karke soi hai
itmeenaani rukh par manzar,
maa kee baat aur hee hai.
मैं माँ के कदमों को छू कर निकलता हूँ
फिर दोस्त मेरा ये सारा शहर होता है।
बहुत सुंदर।
आपका अतुल्य आभार धन्यवाद आदरणीया। यूँ ही मार्गदर्शन करते रहें।
नमस्ते, आपकी यह प्रस्तुति “पाँच लिंकों का आनंद” ( http://halchalwith5links.blogspot.in ) में गुरूवार 02-11-2017 को प्रातः 4:00 बजे प्रकाशनार्थ 839 वें अंक में सम्मिलित की गयी है।
चर्चा में शामिल होने के लिए आप सादर आमंत्रित हैं, आइयेगा ज़रूर। सधन्यवाद।
आपका बहुत बहुत आभार आदरणीय रविन्द्र जी। कृतज्ञता प्रेषित करता हूँ। बहुत बहुत शुक्रिया।
मातृभक्ति से ओतप्रोत रचना को सत सत नमन
प्रिय मित्र पुष्पेंद्र जी। आपका हदय से ढेरों ढेर आभार। आपकी सराहना से कुछ अलग ही खुशी होती है।
बहुत ही सुंदर गज़लें हैं |
आदरणीया अर्चना जी आपका ह्रदय से धन्यवाद। उड़ती बात पर आपका बहुत बहुत स्वागत है।
माँ का नाम ही ममतामयी भाव से परिपूर्ण होता है, आपने अति भावों का समुंदर बहा दिया…बहुत ही हृदयस्पर्शी ग़ज़ल लिखी है आपने अमित जी।बेहद लाज़वाब वाह्ह्ह्ह….????
आप सदा सराहते हैं। ऊर्जा मिलती है। आपका बहुत बहुत आभार बहुत बहुत धन्यवाद श्वेता जी।
बहुत सुन्दर । शुभकामनाएं ।
आपकी शुभेक्षायें मेरी लिये आशीर्वाद है। आपका बहुत बहुत आभार धन्यवाद