पाकिस्तान सेना द्वारा दो भारतीय सैनिकों को मारने और उनके सिर काटने पर आक्रोश जताती कविता। Poem against Pakistanis army barbaric act killed two Indian soldiers and mutilated Bodies
एक कटेगा बीस काटकर, दुश्मन के सिर लायेंगे
हमें जिताओ है वादा हम, कड़ा सबक सिखलायेंगे।
लेकिन आज नदारद सारे, तेवर भगतसिंह वाले
ये कैसी तासीर पदों की, स्वाभिमान को जो मारे।
निंदा निंदा और भर्त्सना, सुना सुना कर छका दिये
बड़ बोले कुछ नेताओं ने, कान हमारे पका दिये।
ये भी पढ़ें-
सैनिकों का थप्पड़ द्वारा अपमान पर कविता
कुंद कर दिया शौर्य हमारा, संयम की परिपाटी ने
डायनामाइट लगा दो जाकर, उनकी सिंधु घाटी में।
कितने परमजीत मतवाले, शीश कटाकर बैठे हैं
कितने वीर प्रेम सागर से, माँ ने खोये बेटे हैं।
कब तक हेमराज जैसे, सैनिक मस्तक कटवायेंगे
कब तक जौहर करते करते, वीर सुधाकर जायेंगे।
कब तक अत्याचार सहेंगें, वहशी बर्बर नस्लों का
क्यों इलाज़ न करते हैं हम, खरपतवारी फसलों का।
याद करो उन जुमलों को जब, कॉंग्रेस बौराई थी
जब निर्लज़्ज़ों ने दुश्मन को, बिरयानी खिलवाई थी।
तुमने रोष दिखाया था तो, भारत तुम पर मोहित था
तभी भीरुता से साहस तक, जनमत हुआ तिरोहित था।
याद रखो यह देश याद, रखता है निर्णय वालों को
लाल बहादुर जैसों को, बल्लभ जैसे मतवालों को।
बिगुल बजा दो खुल्ला छोड़ो, अपने भूखे शेरों को
नहीं सहेंगें रोज़ रोज़ की, आतंकी मुठभेड़ों को।
धैर्य टूट जायेगा वरना, भारत माँ के पुत्रों का।
कूच करांची तक होगा फिर, निशां मिटेगा कुत्तों का।
हुई इंतहा बहुत सहे हम, घूँट पिये अपमानों के
छाती फटी देख शव अपने, शीश विहीन जवानों के।
नारे खूब सुने मौलिक, हर हर मोदी घर घर मोदी
करो गर्जना बहुत हो गया, अब तो एक जंग होगी।
Share this:
Related Posts
कश्मीर में सेना के जवानों से हुई बदसलूकी पर कविता।
देशभक्ति के दोहे – deshbhakti shayari in hindi, desh bhakti par shayari in hindi
काले धन पर बैन पर कविता। नोट बंदी पर कविता। मोदी जी का 09/11 पर कविता। poem black money banned in India
About Author
Amit Jain 'Maulik'
मैं एक कवि, लेखक एवम एंकर हूँ । 'उड़ती बात' के माध्यम से मैंने स्वरचित रचनायें आपके समक्ष प्रस्तुत करने का प्रयास किया है। आपसे विनम्र अनुरोध है कि अपनी बहुमूल्य प्रतिक्रिया एवम सुझाव अवश्य दें जिससे हम जैसे नव रचनाकारों का मनोबल बढ़े एवम उड़ती बात के स्तर में गुणात्मक अभिबृद्धि हो..
वाह्ह वाहह बहुत ही लाज़वाब, सैनिकों के प्रति हुए दुर्व्यहार को वयक्त.करती आपकी रचना वीर रस समाहित समयपरक है।माता रानी आपकी लेखनी पर.कृपा बनाये रखे।
आपका सदा आभारी हूँ। आपकी सराहना बेहतर करने की प्रेरणा देती है। प्रोत्साहित करती है। उड़ती बात को ऐसे ही blessed करती रहें। बहुत शुक्रिया।।