नारी शक्ति पर कविता । Poem on women’s Day, महिला दिवस पर कविता

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 नारी शक्ति पर कवितामहिला दिवस 8 मार्च 2018 के अवसर पर एक और बेबाक आर्टिकल नारी शक्ति पर कविता आपके समक्ष प्रस्तुत है। नारी सशक्तिकरण की विचारधारा को पुष्ट यह कविता महिलाओं पर समाज द्वारा थोपी गईं मर्यादाओं, प्रथाओं और विवशताओं के बंधन से आज़ाद होने का आह्वान करती है जिससे नारी शोषण हतोत्साहित हो। आशा है यह आर्टिकल आपको पसंद आयेगा।

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नारी शक्ति पर कविता

सुधा शची सुलोचना
शशी सिया सुशोभना
विष बार बार ना पियो
मन मार मार ना जियो
मनुहार में ना डूबना
बन नीर बेग फूटना
सुकुमार नार बज्र सी
कड़ी रहो अड़ी रहो।

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ऋचाओं में कहाँ लिखी
पुराणों में कहाँ दिखी
अनुगामिनी सदा रहो
बन दामिनी सदा सहो
परवाज नहीं भूलना
नेपथ्य में ना टूटना
नेतृत्व में रहो सदा
बड़ी रहो अड़ी रहो।

तूं रोष में आ क्रोध कर
तू दमन का विरोध कर
अब लांघ जा लकीर को
कपाल पर तू चोटकर
ना सोचना ना पूछना
बहुत हुआ है बूझना
हो रुष्ट क्रुद्ध खेत में
डटी रहो अड़ी रहो।

सपुष्ट हो उतंग हो
ज्यों सिंहनी प्रचंड हो
हुंकार से फुंकार से
हर दर्प खंड खंड हो
कलेश में ना जूझना
ना काँपना ना सूखना
मौलिक सुमेरु तुंग सी
खड़ी रहो अड़ी रहो।

Naari shakti par kavita

sudha shachee sulochna
shashi siya sushobhna
vish baar baar na peeiyo
man maar maar na jeeo
manuhaar mein na doobna
ban neer beg footna
sukumaar naar bajra see
kadee raho adee raho.

richaaon mein kahaan likhee
puraanon mein kahaan dikhee
anugaaminee sada raho
ban daminee sada saho
parvaaj nahin bhoolna
nepathy mein na tootna
netrtva mein raho sada
badee raho adee raho.

too rosh mein aa krodh kar
too daman ke virodh kar
ab laangh ja lakeer ko
kapaal par tu chot kar
na sochna na poochhna
bahut hua hai boojhna
ho rusht kruddh khet mein
datee raho adee raho.

sapusht ho utang ho
jyo singhnee prachand ho
hunkaar se funkaar se
har darp khand khand ho
kalesh mein na jujhna
na kaampna na sookhna
maulik sumeru tung see
khadee raho adee raho.

इस आर्टिकल नारी शक्ति पर कविता के बारे में आपके बहुमूल्य विचार आमंत्रित हैं।

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