जुदाई की कविता-काश । अलगाव पर कविता । ब्रेकअप पर कविता । ब्रेकअप पोएट्री इन हिंदी
जुदाई की कविता – किसी से प्यार हो जाये, बेतहाशा हो जाये और वही हमसे ज़ुदा हो जाये, इससे ज़्यादा ग़मगीन करने वाली बात मोहब्बत करने वालों के लिये दूसरी नहीं हो सकती। आज की यह कविता जुदाई की कविता एक ऐसी दर्द भरी कविता है, एक ऐसी प्यार में सॉरी बोलने की कविता है, प्यार में रूठने मनाने की कविता है जो आपके दिल की गहराई तक उतर जायेगी। निश्चित रूप से यह अलगाव पर कविता, बिछड़ने पर कविता, ब्रेकअप पर कविता उन पाठकों के बहुत काम आने वाली है जिनका प्यार ग़लतफ़हमी के कारण उनसे दूर चला गया और अब बड़ी शिद्दत से अपने प्यार अपने दिलदार की याद उन्हें आ रही है, जो ये एहसास दिला रही है कि मुझे उससे बेहद प्यार है ।
जुदाई की कविता
तुम ग़लत नहीं हो सच ही तो कह रही हो
एक लंबे अरसे से क्या क़ुछ नहीं सह रही हो।
हाँ मैंने बहुत गलतियाँ की हैं जानता हूँ
मैं अपने किये हुये सब गुनाह भी मानता हूँ।
मैंने इरादे ज़ाहिर किये थे चाँद तारे लाने के
हाँ मैंने ढेर वादे किये थे सदा गले लगाने के।
मैं तुम्हारी हर ख्वाहिशों में रंग भरूंगा कहा था
तुम आसमाँ छू लेना मैं सदा संग रहूँगा कहा था।
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पर मैं तुम्हारे विश्वाश पर खरा नहीं उतर पाया
मैंने कहा बहुत कुछ पर ज़रा भी नहीं कर पाया।
अभी तो तुम्हें ढेरों बातें करनी थीं मुझसे
अभी तो कई मुलाकातें करनी थीं मुझसे।
मैंने तुम्हें वक्त ही नहीं दिया कुछ कहने का
हाँ मैंने अवसर ही नहीं दिया खुश रहने का।
शायद मेरा रवैया ही नाकाबिले बर्दाश्त था
तुम्हारे साथ रहते हुये भी मैं कहाँ साथ था।
तो तुम्हें भी तो हक था यूँ तकरार करने का
हर जायज़ आरज़ू बाज़िब इसरार करने का।
तुम्हारा तो कहीं से भी कुछ भी दोष नहीं प्रिये
मैं ही घूमता रहा हलाकान सा सोज़ को लिए।
तो ठीक ही किया जो मुझ जैसे को छोड़ दिया
ये बंधन भी कोई बंधन था अच्छा है तोड़ दिया।
लेकिन तुम मेरी दुआओं में सदा बसती रहोगी
तुम मेरे मौलिक ख्वाबों में सदा महकती रहोगी।
काश तुम लौट आतीं तो कितना अच्छा होता
काश ये ख़ुशगवार ख़्वाब फिर से सच्चा होता।
मैं तुम्हें अब भी बेइंतहा प्यार करता हूँ, कह पाता
मेरे महबूब, काश मैं तुम्हारे साथ फिर से रह पाता।
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Good poem
I like it
Unik poem