कश्मीर में सेना के जवानों से हुई बदसलूकी पर कविता।
कश्मीर में सेना के जवानों से बदसलूकी पर कविता – प्रिय पाठको, प्रस्तुत है आर्टीकल कश्मीर में सेना के जवानों से बदसलूकी पर कविता । अभी हालिया ही कश्मीर में सेना के जवानों के साथ जिस तरह की बदसलूकी की गई उससे पूरे देश में आक्रोश की लहर दौड़ गई। हमारा भारत देश पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद का मुँह तोड़ प्रतिउत्तर देने में हर तरह से सक्षम है। किंतु राजनैतिक दृढ़ता के अभाव में हमारे सैनिकों के हाँथ बंधे हुए हैं। हमारी अतिथि रचनाकार श्वेता सिन्हा ने इस घटना से उपजी पीड़ा को कश्मीर में सेना के जवानों से बदसलूकी पर कविता के रूप में शब्द देने का प्रयास किया है। आशा करता हूँ यह आर्टिकल आप सबको पसंद आयेगा।
कश्मीर में सेना के जवानों से बदसलूकी पर कविता
नहीं है पहनी चुड़ियाँ हमने, रण कंकण बाँध के रखते है।
देश के सम्मान के खातिर, नरमुंड तैय्यार भी रखते है।।
वीर सिपाही हम बाजू में आग, सीने में फौलाद रखते है।
हम निडर प्रहरी भारत माता के, चरणों का मान रखते है।।
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चुटकी में मसल दे चीन की सेना, या फिर हो पाकिस्तान,
हर क्षण मुस्तैद हम रक्षक, अपनी हथेलियों में जान रखते है।
अपने देश के गद्दारों से, अपमान सहना कोई मजबूरी नहीं,
देश के चंद नेताओं के कर्मों का, अपनी वर्दी पर दाग रखते है।
चाहे तो एक पल में संगीनों पे, लटका दें इन पत्थरबाजों को,
अमन और शांति के नाम पर, हम घूसे और लात सहते है।
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औकात नहीं जिनकी दो कौड़ी, की भी उन बेगैरतों के आगे,
कुचलकर अपना स्वाभिमान, देशभक्ति की शान रखते है।
बैठकर सियासत के सिंहासन पर, बड़ी बड़ी बातें करते जो,
उन नपुसंकों के स्वार्थपरता पर, हम मौन प्रतिकार रखते है।
सहते सहते टूट गया जिस दिन, तट बंध सब्र हम लहरों का,
बह जायेगा तृण सा सबकुछ हिय में, प्रलय का तूफां रखते है।
यह आर्टीकल कश्मीर में सेना के जवानों से बदसलूकी पर कविता आपको कैसा लगा प्रतिक्रिया कर अवश्य बतायें।
अतिथि रचनाकार-
मैं श्वेता सिन्हा, मुझे लिखने और पढ़ने में रूचि है। मैं कविता, गज़ल, मुक्तक, छोटी कहानियाँ और संस्मरण लिखने में विशेष रूचि रखती हूँ। आशा है आप पाठकगण मेरी रचनाओं से स्वयं को जोड़ पायेंगे और भावों का आनन्द लेंगें। कविता पसंद आये तो प्रतिक्रिया अवश्य दें जिससे हमारा उत्साहवर्धन हो। हमारी अन्य रचनाओं के लिये हमारे ब्लॉग पर visit करें-
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बहुत बहुत आभार आपका अमित जी आपने जो सम्मान दिया उसके लिए बहुत बहुत आभारी है।
धन्यवाद और आभार तो आपका श्वेता जी जो इतनी मुखर रचना आपने उड़ती बात पर प्रसारित की। ओज की ऐसी अतुल्य रचना के लिये आपको बधाई।
दहकती ज्वालामुखी जैसी पंक्तियाँ अति सुंदर
बहुत बहुत धन्यवाद सत्यम जी। आभार