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अतिथि स्वागत गीत
धन-धन हमारे भाग हैं, श्रीमन हमारे साथ हैं 
 हम नमन अभिनंदन करें, तव जोड़कर द्वय हाथ हैं।
अनुगृहित है मन मुदित है, श्री मन पधारे जो यहाँ 
 आभा उदित है मंच पर, सूरज दमकता है यहाँ।
श्रीफल दुशाला पुष्प माला, से करें हम स्वागतम 
 आतिथ्य को स्वीकार लें, उपकार कर दें श्री मनम।
रंगत नई आई यहाँ, संगत मिली जो आपकी 
 चहुँ ओर फैला नूर सा, यूँ शख्शियत है आपकी।
गरिमामई करुणामयी, है भाल, नेह का ओज है 
 इमदाद की सम भाव की, इक रहनुमाई सोच है।
आतुर ह्रदय करता विनय, कुछ आपका उदगार हो 
 कुछ पथ प्रदर्शित आज हो, आशा की लौं उजयार दो।
आशा भरी मौलिक मलय, नव पल्लवन की कौंध हो 
 गुंचे उठें नित-नित नवल, उत्साह की मन मौज हो।
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								Amit Jain 'Maulik'
								मैं एक कवि, लेखक एवम एंकर हूँ । 'उड़ती बात' के माध्यम से मैंने स्वरचित रचनायें आपके समक्ष प्रस्तुत करने का प्रयास किया है। आपसे विनम्र अनुरोध है कि अपनी बहुमूल्य प्रतिक्रिया एवम सुझाव अवश्य दें जिससे हम जैसे नव रचनाकारों का मनोबल बढ़े एवम उड़ती बात के स्तर में गुणात्मक अभिबृद्धि हो..