टीचर्स डे शायरी – उड़ती बात के कई छात्र पाठकों ने मुझसे आग्रह किया है कि इस बार उन्हें टीचर्स डे शायरी तो चाहिये लेकिन customize shayari चाहिए। मतलब कि मैं सभी subjects के टीचर्स पर अलग-अलग शायरी उपलब्ध करूँ। निश्चित रूप से Anchoring करने में इन शायरियों से ज्यादा impression पड़ सकेगा। इस आर्टीकल
घोर अमावस रात में, नीरवता इतराय वैसे ही अज्ञान में, कुमति पुष्ट हो जाय। मति है नीरज तुल्य ये जानो, ह्रदय पात्र सम है ये मानो जैसा इसमें द्रव्य मिलाओ, जस का तस परभाव विचारो। नीम मिलाओ कड़वा पानी, कर्कशता ना जाय बखानी घोलो इसमें शहद चासनी, सरस मधुरतम होवे प्राणी।। घोला
सद्गुरु के उपकार को, कोउ चुका न पाय रंग चोखो लग जात है, उतरे न उतराय। पिता जन्म देता महज़, कच्ची माटी होय गुरुजनों के शिल्प से, मिट्टी मूरत होय। अवगुण कुमति निहार के, गुरु देवें मुस्काय ज्यों लख उत्तम शिला को, शिल्पकार हर्षाय। अंधकार चहुँ दिशि घना, रात अमावस आय रवि सम सतगुरु देत
कबीरा ते नर अंध है, गुरु को कहते और हरि रूठे गुरु ठौर है, गुरु रूठे नही ठौर प्रिय स्वजन, यह सर्व विदित है कि वेदों एवम सनातन धर्म के अनुसार भारतवर्ष की प्रथम एवम प्राकृत भाषा संस्कृत थी जिसे देवोपुनीत भाषा भी कहा जाता है. संस्कृत से ही सुसंस्कृत शब्द की