दुआयें तुम को ढूँडेंगी अगर इंसाफ तुम कर दो  मै कह दूँगा जो दिल में है अगरचे माफ तुम कर दो  समंदर को सुधा करके तुम्हें सौगात में दूँ  जो चाहत में तुम्हारा हाथ मेरे हाथ पर रख दो  कभी मेला कभी महफिल कभी संसार कर लेना  अगर तन्हाई ज्यादा हो तो चिठ्ठी तार