बातो-बातों में मुँह मोड़ना आ गया  हाथ मझधार में छोड़ना आ गया  इससे ज्यादा मुझे और क्या सीखना  प्यार में आज दिल तोड़ना आ गया  इस शहर में नहीँ गाँव में ले चलो  पंख ना खोलना पाँव में ले चलो  तुम मेरी आँख में डूब जाना वहीँ  आम के पेड़ की छाँव में ले चलो  वक़्त