गोरी से होरी कैसे हो, हफ़्तों के ताने-बानों को रंगों की पुड़ियाँ हाथों में, ले आस हुमक अरमानों को मौके तकना तक तक थकना, हड़बड़ियों में वो गड़बड़ियां कैसे भूलें वो दिन गोरी, कैसे होली की बातों को गोरी के गुलाबी गालों को, गालों पर बिखरे बालों को वो छज़्ज़े वाली खिड़की को,