‘ श्याम सलोने राधा गोरी बरसाने का हुल्लड़ था रंग रंगीले फगुआ होली शहरों वाला अल्हड़ था जब रंग बरसा झूम गये सब धूम मची थी नगरी में भक्त मगन थे पी के नाचे अमृत वाला कुल्हड़ था   अभी तक एक स्वप्न सा प्रतीत होता है कि होली मिलन का कार्यक्रम इतना अभिनव एवम