मैंने कब कहा  तुम मेहनत से मिले हो  तुम तो अप्रतिम गुलाब हो  ह्रदय की बंजर भूमि पर  नैमत से खिले हो  इसमें बेईमानी क्यों लगती है  तुम्हें गलत बयानी क्यों लगती है  तुम तो सौभाग्य हो  तुम शुभ संयोग हो  अच्छे अच्छे ग्रहों के  तुम मिलन का योग हो  मेरे निकट आये तुम  सचमुच बड़े