February 22, 2017
होली पर रोमांटिक कविता । Holi par romantic Poem
गोरी से होरी कैसे हो, हफ़्तों के ताने-बानों को रंगों की पुड़ियाँ हाथों में, ले आस हुमक अरमानों को मौके तकना तक तक थकना, हड़बड़ियों में वो गड़बड़ियां कैसे भूलें वो दिन गोरी, कैसे होली की बातों को गोरी के गुलाबी गालों को, गालों पर बिखरे बालों को वो छज़्ज़े वाली खिड़की को,