फेयरवेल शायरी – विदाई शायरी की श्रृंखला में यह आर्टिकल फेयरवेल शायरी ( Farewell shayari ) पार्ट 2 आपके समक्ष प्रस्तुत है। लगभग सभी कॉलेज, स्कूल्स, कंपनीज़ और विभागों में सीनियर्स का retirement अथवा transfer होते रहते हैं। पुराने वरिष्ठों से आत्मीय लगाव स्वाभाविक होता है इसलिए उनका विछोह तकलीफ देह लगने लगता है। इसी आत्मीयता,
ये आँखें ख्वाबगाह बन गईं तुम्हारे तसब्बुर में सोते सोते सारा असबाब तरबतर हो गया है तेरे ख्याल में रोते रोते हम पर तुम्हारी मुहब्बत का नशा इस तरहा तारी है कि हम कमजोर दिल के होते तो दुनिया से चल दिए होते फर्क है बात मे सच भी है झूठ है सुर्ख सूरज हुआ
तेरे अलावा मेरा कौन कहाँ जायेंगे दिमाग से चलेंगे दिल से लौट आयेंगे मुहब्बतों की कसम है तुम्हें हबीब मेरे जो रूठ जाऊँ मना लेना मान जायेंगे तुम उगा तो लिये सूरज वो दिन बनेंगे नहीँ खुदा से नूर मंगा लो ये गुल खिलेंगे नहीँ तसल्लीयों से हवा में उड़ान भरते रहो अब अगर ढूँढ़ने
बातो-बातों में मुँह मोड़ना आ गया हाथ मझधार में छोड़ना आ गया इससे ज्यादा मुझे और क्या सीखना प्यार में आज दिल तोड़ना आ गया इस शहर में नहीँ गाँव में ले चलो पंख ना खोलना पाँव में ले चलो तुम मेरी आँख में डूब जाना वहीँ आम के पेड़ की छाँव में ले चलो वक़्त