November 23, 2016
कविता ‘किसको है ये ख़बर। Poem ‘Kisko hai ye khabar’
चलते चलते ये सांसे मचल जायेंगी जिंदगी हाथ से कब फिसल जायेगी किसको है ये पता किसको है ये ख़बर आज आई नहीँ मौत कल आयेगी देखते देखते जां निकल जायेगी किसको है ये पता किसको है ये ख़बर ख्वाहिशों की हवस थोड़ी कम हो सके दूसरों के लिये आँख नम हो सके बन मुहाफिज